Saturday, March 19, 2011

''धरती पर अपने पैर से प्रहार के पश्चात ''बाबा श्री'' गहरी समाधि में है.'' ...किसी बड़ी घटना के पूर्व कि ख़ामोशी बनी हुयी है.




Dt ...19.march.2011....रात में 9.00pm ..

'''23 अगस्त.2009 ----31 अगस्त 2009 ..के मध्य का कल मैंने जिस घटना का जिक्र किया था.कि,भगवान बिष्णु जी ( श्री बदीनाथ जी.) बालरूप में बाबा श्री के दोनों पैरो को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर बाबा को शांत रहने के लिए मना रहे थे.वो अब बाबा का पैर छोड़ कर उठ गये हैं.. ''
''2009 के पश्चात में 2010 में हिमालय को हिलते हुए सारे जगत ने देखा है.अनेकानेक बार भूस्खलन,लैंड स्लाइडिंग और बार-बार बादल के फटने तथा घनघोर बरसात से हिमालय से नीचे धरती की ओर जल प्रवाह का जो वेग बरसात के समय चीन,पाकिस्तान,तथा भारत सहित दुनिया के अन्य कई नगरो ,आबादियों में फैला.उसने अपना परिचय खुद दे दिया था,की अभी इस धरती पर हिमालय जिन्दा है...''
...और....धरती का पुरुष अभी जिन्दा है..धरती का पुरुष जाग रहा था....
''और......बाबा की समाधि टूट गयी...'''
परसों जैसे ही ''भगवान श्री बिष्णु जी'' ने ''बाबा श्री'' का अपने हाथो से पकड़ा हुआ पैर छोड़ा.
''बाबा श्री'' ने विकराल विराट ''काल पुरुष'' का रूप धारण किया.
''बाबा श्री'' के खुले हुए बिखरे बाल ब्रह्माण्ड में लहराने लगे.बड़ी-बड़ी लाल आँखे रक्त वर्ण की हो गयी.जिह्वा लपलपा उठी और धरती पर ''बाबा श्री''के इस रूप ने चार बार कठोर प्रहार किया.....
''कल रात से ही ''बाबा श्री'' गहरी समाधि में चले गये है तथा गंभीरता का भाव बना हुआ है.''
....2009 में ''बाबा श्री'' ने बतलाया था .की,
''इस बार के कार्य में अनेक दानवों तथा असुरो का भी सहयोग लिया जायेगा।जिन्होंने कभी अपनी तपस्या भक्ति से जगत और मानवता की सेवा की हो और प्रसिद्धि पाई तथा परमात्मा के कार्य के निमित्त अपना सर्वस्य सौंप दिया है.''''
''अपने पैर से चार बार धरती पर प्रहार करने के पश्चात बाबा गंभीर समाधि में बैठ गये हैं.ऐसा लगता है की धरती पर कुछ बहुत बड़ी घटना होने वाली है.बहुत बड़े तूफान के पूर्व की खामोश शांति.'''
..अपने आसन पर बैठे बाबा श्री अपने पैर से धरती को निरंतर दबा रहे हैं...
...जिससे दानव राजा बलि ..!...
..जिसको बाबा ने अपने पैरो से दबा कर रखा था,अभी तक.उसे दबा कर नीचे से ऊपर आने का प्रयास कर रहे हैं.....
आज सारा दिन बाबा का समाधि में ही निकला.
एक बहुत बड़ी घटना के पूर्व की ख़ामोशी बनी हुयी है.सारा दिन पैर से अपने नीचे ही प्रेशर दे रहे हैं...
एकदम खामोश ही दिन भर बैठे रहे हैं,''पिता श्री..बाबा जी...''
क्लाक वाईज गोल चक्रवात जैसा प्रेशर बन रहा है.जापान से लेकर हिंदुस्तान तक कुछ हो सकता है.चक्रवात जैसा बन रहा है.गोल-गोल सब एकदम सा घूम रहा है.किसी को नही मालूम,बस बाबा को ही मालूम है.
बहुत बड़ा कुछ होने को है.
कहाँ होगा,कब होगा पता नही चाल पा रहा है..
''बस बाबा की ख़ामोशी गंभीर है.''
देखते हैं धरती पर,प्रकृति में क्या होता है..?
बस इतना ही कह सकते हैं की किसी बड़े घटना के घटित होने के पूर्व जैसी भयानक ख़ामोशी है यह...
लोग और जगत अपनी मस्ती में चल रहे हैं.
सावधान रहने की जरूरत है.क्योकि धरती अपनी धुरी से हट कर खिसक चुकी है.. और काल की गति पहले की अपेक्षा बढ़ चुकी है.
प्रकृति में तो प्राकृतिक बिघटन ,बिखंडन और तीव्र परिवर्तन तो होगा ही होगा...
धरती के भीतर पहेल ३-४ साल से जो अधोमुखी उल्टा ट्राइंगल निर्मित हुआ था.
अघोमुखी ,उल्टा त्रिकोण को जाग्रत कर मुक्ति करने के पश्चात उर्ध ट्राइंगल होकर अपना स्थान परिवर्तन किया था.उसके पश्चात से उस धरती के भीतर वाले उलटे त्रिकोण में तीव्रता से कम्पन बढ़ता ही जा रहा है.तथा बीच-बीच में कोणीय अवस्था भी बदलती जा रही है.
...देखते हैं...मानवों के कर्मो के कारण धरती के भाग्य में क्या लिखा हुआ है.?.
... .और कौन-कौन सी सभ्यता समाप्त होती है...

...वादा अनुसार धरती की रक्षा के लिए और नये सृष्टि रचना के लिये निरंतर प्रकृति में तीव्रता से परिवर्तन किया जा रहा है..
सावधान ! प्रकृति अब मुक्त व् स्वतंत्र है.
प्राकृतिक जगत में घटित हो रही तमाम तरह की घटनाएँ ..
''माँ''..मेरी माँ ....मूल महाशक्ति ..का अपने सभी शक्तियों के साथ चलने फिरने की ''पगध्वनि'' है.
...धरती पर पग प्रहार के बाद ''बाबा श्री'' की लगातार गंभीर ख़ामोशी का राज क्या है....?....और परिणाम क्या आता है....?

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