Sunday, March 13, 2011

...''माँ'' ....महा शक्तियों ..के चलने की मधुर ''पगध्वनि'' निरंतर सुनाई देने लगी है''.. ( यह प्रलय की खुले आम आहट है.कान लगा कर सुनो और आँख खोल क

......जैसा की हमने गुजरात जाने के पहले ही अपने फेशबुक में लिख दिया था की, ''मुझे भारत में दिल्ली के पश्चिम दिशा में जाने से धरती के प्रकृति में ,जाग्रत ट्राइंगल से सम्बंधित कुछ देशो में तीव्र परिवर्तन जैसे भूकंप ,अग्नि ,जल बिध्वंस आदि की घटना संभव हो सकती है.क्योकि मेरे आदि शक्तियों के साथ विकृति प्रकृति को मूल प्रकृति में परिवर्तन के लिए गतिमान होने से तत्वों में टकराहट बढ़ने लगती है ,धरती के मैग्नेटिक फिल्ड पर दबाव पड़ता है.हमारे चलने फिरने से जाग्रत त्रिकोण के अवस्था में परिवर्तन होने लगता है...इससे भूकंप,जल प्रलय,वायु प्रलय आने की तुरंत संभावना बनने लगती है...
मै 17 .feb से 26 feb 2011 तक गुजरात के दाहोद शहर में था.इसी बिच न्यूजीलैंड में भूकम्प की घटना घटित हुयी.
02 .मार्च 2011 को ''महा शिवरात्रि '' पड़ने से मुझे तुरंत वापस दिल्ली आना पड़ा.महाशिवरात्रि पर ''बाबा'' का महाभिषेक करना था.और 03 .मार्च 2011 को यहाँ आश्रम पर भंडारा था..
..महाशिवरात्रि और भंडारा का प्रोग्राम बहुत ही धूम धाम से संपन्न हुआ.
इसी बिच अचानक प्राकृतिक दबाव पड़ने से मौसम में अचानक परिवर्तन होने लगा.......बारिस के साथ ठंडक बढ़ने लगा.मौसम मेरे अनुकूल हो गया था.
''बिधाता''....बाबा के आदेशनुसार मुझे अब अपने जाग्रत त्रिकोण के एक कोण पर ,काशी [ बनारस] के लिए जाना था.तुरंत दिल्ली से काशी जाने का आदेश पाने से मै अपने कुछ शिष्यों को ही इस यात्रा के बारे में बतलाया .और अपनी बेटी के साथ मै काशी की ओर
.. निकल पड़ा..
मेरी अपनी उपस्थिति अब माँ तथा सभी शक्तियों के साथ अब अपने जाग्रत त्रिकोण के एक मूल एंगल ,कोण काशी पर स्थित हो चूका था जिससे दिल्ली के कोण पर भार हल्का पड़ने लगा था. भारत के पूर्वी भाग पर दबाव बढ़ने लगा था और ..इसके परिणाम स्वरुप भारत के उत्तर पूर्वी और पूर्वी भाग पर धरती के भीतर दबाव के साथ झटका लगने लगा....
मैंने ब्लॉग में अपने पहले के लेख में भी बार-बार कई अन्य जगहों पर लिखा हुआ है की मेरे साथ महाशक्तियो के चलने फिरने से ,माँ की पग ध्वनि सुनाई पड़ती है....मिसन के गुप्त प्राकृतिक कार्य के जिस उद्येश्य से मै काशी के लिए निकला था ,उस कार्य में रूचि के उर्जा सर्किट पर तीव्र दबाव बढ़ने से उसको तेज ज्वर हो गया.....
मैंने कई दिनों तक धरती के भीतर के गुरुत्वाकर्षण के बैलेंस को चेक करने के बाद अचानक बाबा के आदेश पर काशी क्षेत्र से बाहर निकलने का और काशीक्षेत्र को तुरंत छोड़ने का निर्णय लिया ।और किसी भी तरह
दिल्ली वापसी यात्रा की ब्यवस्था की .....
11 .मार्च .2011 .को मै अपनी बेटी....मूल महाशक्तियों के साथ झारखण्ड संपर्क क्रांति ट्रेन से दिन के 9 बजे मुग़लसराय से अपने वापसी यात्रा दिल्ली के लिए शुरू की.बुखार में रूचि कमजोर लग रही थी .थकी सी.मैंने कुछ दवा देकर उसे सुला दिया था और कुछ समाचार आने का इंतजार करते हुए अपने बर्थ पर लेट कर आराम करने लगा......
तभी दोपहर में मेरे एक शिष्य डाक्टर अश्विन का फोन आया....
'''जापान में 8 .9 तीव्रता का भूकम्प आया था.और लगभग ३० फुट ऊँची सुनामी की लहरे लगातार उठ रही थी तथा जापान को बर्बाद कर रही थी......सचमुच मेरी माँ अर्थात महाशक्तियों के चलने फिरने जो पगध्वनि जगत में उठती है,वो बड़ी ही भयावह होती हैं....
लेकिन परमात्मा भी क्या करे..?.. जगत के प्राकृतिक संतुलन के लिए छोटे मोटे इस तरह की घटनाओ के चक्कर में अपना कार्य तो नही रोक सकता ना.और कार्य भी क्या...?....विकृति प्रकृति को मूल प्रकृति मे परिवर्तन का कार्य.यह धरती की रक्षा के लिए जरूरी भी तो है.नही तो आधुनिक बिज्ञान के नाम पर जिस तरह से प्रकृति से छेड़ छाड़ हुआ है उससे तो सारी धरती ही विनास के कगार पर बढ़ती ही चली जा रही है.....
अध्यात्म और धर्म के प्रसिद्द लोग अपने सभी कर्मो से ,अपने आश्रमों से,अपने उपदेशो से सारे जगत को सतयुग में प्रवेश कराने के लिए अपना सारा जोर लगा रहे हैं. ...सभी लोग सतयुग में घुसने के लिए अपना सारा जोर इन सबके पीछे से अपने जिन्दगी का बहुत ही कस कर जोर लगा रहे हैं....
सतयुग में सभी लोगो को ले जाने का दावा करने वाले ये लोग अपने -अपने प्रयास में पूरी तरह लग गये हैं॥कारोबार और ब्यापार पूरी तरह चालू है। इस बेचारे कलयुग को ये लोग जबदस्ती ही सतयुग में धकेलते हुए ले जाने का अपना-अपना दावा ठोकने वाले लोग शायद यह सोचना तक भूल गये हैं की जबतक कलयुग है तब तक इतने भारी भरकम युग को कैसे और कहा ले जाकर सतयुग में रखेंगे...?..
ये ज्ञानी लोग हैं और इनके पास भारी भरकम शब्दों की भीड़ है जिसमे भोले भाले लोगो को बहला और बहका कर अपना धंधा बखूबी चल रहे हैं.
दया आती है इन ज्ञानियों और पहुचे हुए लोगो की भीड़ को देख कर.....
ये सत्य है की ये सारे अपना पूरा जोर लगा कर कलयुग को सतयुग में लेकर चले ही जायेंगे..???...
लेकिन किसी ने भी कलयुग से ये नही पूछा की वो सतयुग में जायेगा भी की नही.कलयुग सतयुग में परिवर्तित होगा भी की नही...इसकी जरूरत किसी ने भी नही समझी और न ही इसके बारे में कुछ भी सोचने तक का सामर्थ अपने अन्दर उत्पन्न किया.....?.
जब तक कलयुग रहेगा ,तब तक सतयुग कैसे आएगा.?..धकेलने का प्रयास सभी कर रहे हैं...!
जब कलयुग का अंत होगा तभी तो यह युग सतयुग में परिवर्तित होगा.कलयुग के अंत होने पर ही सतयुग आने की संभावना बनती है.
इसीलिए ''बिधाता'' ने सबके ,सारे संसार में बढ़ती हुयी इस मांग को देखते हुए की ''कलयुग का सतयुग में परिवर्तन और प्रवेश होना चाहिए''.
की पूर्ति के लिए कलयुग का अंत करने का निश्चय कर लिए और धीरे-धीरे करके कलयुग का अंत करने लगे....
कलयुग के अंत होने की इसी प्रक्रिया का एक भाग न्यूजीलैंड में भूकम्प का आना,जापान में भूकम्प का आना और सुनामी का आना ,ज्वालामुखियो का अपना मुख खोलना इत्यादि तथा ऐसे ही प्राकृतिक तत्वों के आपसी टकराहट और बिघटन के परिणाम से उत्पन्न घटनाये हैं.पिछले तिन से चार वर्सो से आप अपने चारो तरफ की धरती पर प्राकृतिक हलचल और तीव्र होती जा रही बिध्वन्सक घटनाओ को देख कर मेरी बातो को समझ सकते है.ये सीधा ईशारा करते हैं , कलयुग का अंत प्रारम्भ किया जा चूका है. ताकि सभ्यता के ठेकेदार लोग जो बच जाये उसे लेकर सतयुग में जा सके.....
कार्य क्रम अभी जारी रहेगा. बिध्वंस की घटनाये पिछले की अपेक्षा तीव्र गति से बढ़ती ही जाएगी....
यह तो माँ की पगध्वनि से उठा हुआ मधुर संगीत है....जिसे सुनने के लिए सारे जगत अपने-अपने कर्मो से खुद ही वीवस है.क्योकि कर्म ऐसा ही तो उसने ही किया है..........
मैंने पिछले ब्लॉग में लिखा है ना की,''प्रथम मानव शरीर धारी ''अघोर'' शिवपुत्र ''' ने कलयुग में अपने माँ की मूल महाशक्तियो को प्रदर्शित करने का काम चालू कर दिया है और समय की गति,काल की गति बढ़ा दी गयी है.....प्राकृतिक तत्वों का फिरसे एक बार पुन: समायोजन और संतुलन का कार्य प्रारम्भ है......
ऐसे महत्वपूर्ण कार्य को करने में लगे हुए ''अघोर'' से छेड़ छाड़ करना ठीक नही है .अन्यथा महाशक्तिया कुपित होकर महाप्रलय प्रारंभ कर देगी और मेरे पिता श्री के तांडव के बारे में सभी ने कुछ ना कुछ सुन ही रखा है......
धैर्य के साथ इंतजार कीजिये.आप सभी के सामने महाप्रकृति में सारे कार्य क्रम समय-समय पर यु ही परोस कर प्रस्तुत कर दिए जायेंगे....
धन्यवाद्....
विशेष---- कार्यक्रम चालू है,कार्य की गति बढ़ती ही जाएगी......किसी को भी निरास नही होने दिया
जायेगा.सभी अपने-अपने कर्म फल के पुरे . .
अधिकारी हैं...............प्रलय खंड में जब प्रवेश होता है,तो शुरुआत भी ऐसे ही प्राकृतिक बिध्वंस से ही होती है...


No comments:

Post a Comment