Friday, March 18, 2011

''बाबा'' ने ''धरती'' पर अपने ''पैर से चार बार प्रहार'' किया.



Dt ..18 march।2011..night..10.10.pm.Delhi ..Aashram.
''सावधान ...सावधान....सावधान....''

''एक विशिस्ट घटना की निश्चित
संभावना बन गयी है.''
''मानव शभ्यता के ईतिहास में और ज्ञात स्मृतियों तथा शाश्त्रो में वर्णित ''बाबा''' ..'''आदि पुरुष ''' से सम्बंधित यह घटना इस धरती के जगत के लिए अति महत्वपूर्ण है...''
आज के हो या प्राचीन काल के .मानवों का यह स्वभाव रहा है कि देख कर भी नही मानते हैं.इसी ना मानने के गुण स्वभाव के कारण इन्हे मनुष्य कहा जाता है.यह सारी धरती पर हर जगह मिलते हैं.और अपने स्वभाव से स्वर्ग को भी नरक बना देने का सामर्थ्य रखते हैं......
घटना..!..जिस घटना का मै जिक्र करने जा रहा हूँ.उसका सम्बन्ध सभ्यता के आदि काल से लेकर आज वर्तमान जीवन तक है और जब भी इस धरती पर सभ्यताओ की कहानी मिलती रहेगी और जीवन रहेगा तब तक रहेगा...
युगों की घटना लम्बी है.समय कम... स्थान... छोटा है.
यहाँ पर यह मेरा लेखन एक सुचना और सन्देश मात्र है.यहाँ मानव जाती के बुद्धिजीवियो के लिए.इसमे तर्क के लिए स्थान और समय नही है..क्योकि यह ''यथार्थ'' है..वर्तमान में.आज के जगत /संसार में घटित हो रहा है.....
..जिसे समझना होगा ,समझ जायेंगे.मजाक उड़ाने वाले ,अपने जीवन का मजाक उड़ाने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं.....
''''2009 ...के अगस्त में हम जब केदारनाथ--हिमालय में प्रवास कर रहे थे.अपनी बेटी के साथ.तब मेरे पास मेरे शिष्य डाक्टर अश्विन और डाक्टर अल्पा भी आये...साथ में बाम्बे से मन्नू तथा सुमन भी थे...
मैंने ध्यान में ले जाकर अश्विन को कुछ दृश्य व् घटनाक्रम दिखलाया था...
मेरे पिता श्री '''बाबा'' भगवान शिव जी केदार नाथ जी .अत्यंत क्रोध में बैठे हैं.उसी के कुछ दिनों पूर्व मै 14 अगस्त 2009 को श्री बद्रीनाथ जी को वहा के मंदिर से अपने साथ मुक्त करा कर बाहर लेकर 15 अगस्त 2009 को चला आया था .तथा शाम को ऊखी मठ ठहरा था.और १६ अगस्त २००९ को ''मै'' और रूचि केदार नाथ पहुंचे थे.
यह वर्णन 20 अगस्त 2009 और 31अगस्त 2009 के मध्य का यहाँ वर्णित कर रहा हूँ.
डाक्टर आश्विन को आने पर मेरे पास मैंने दिखाया.......

प्रकृति में इस वर्तमान अवस्था के लिए भगवान बिष्णु जी ( बद्रीनाथ जी) ने सभी देवी-देवताओ को दंड दिया और दंड स्वरुप ब्रह्माण्ड का सात चक्कर लगाने का आदेश दिया...
वर्तमान कलयुग में देवी-देवताओ ने सिर्फ अपने अधिकार का भोग किया.
आदि शक्ति ''माँ'' की मुक्ति के बाद भी माँ के पुत्र और माँ को बहुत अपमान सहना पड़ रहा था...
बिष्णु जी ने ब्रह्मा जी के यह कहने पर की .......
''''अभी इस सृष्टि को रहने दिया जाये..आप अपना धर्म निभायिये.आपका धर्म पालन करना है.सृष्टि का आप क्यों बिध्वंस करना चाहते है...?..हम सबने मिल कर इस जगत ,इस सृष्टि को बनाया है,किसी विशेष प्रयोजन से.'''
इस बात पर बिष्णु जी भड़क गये और ब्रह्मा जी को बोला......
'''आप अब एक नये सृष्टी रचना की तैयारी कीजिये...'''
'''बाबा श्री'' बहुत क्रोध में थे क्योकि माँ और अपने पुत्र का बार-बार अपमान देख कर बाबा इस जगत का बिध्वंस कर देना चाहते थे.इसीलिए बार-बार अपने आसन से उठने का प्रयास कर रहे थे.अपने आसन से बाबा उठ जाना चाह रहे थे.फिर बिष्णु जी बाल रूप में बाबा का पैर पकड़ कर बैठ गये.और ''बाबा'' को अभी शांत रहने के लिए प्रार्थना करने के लिए कहने लगे....
''मेरी माँ आदि शक्ति ''कामख्या ''एक तरफ बाबा के चुपचाप खड़ी हो कर सब कुछ देख रही थी .
फिर धीरे से कुछ बोला,ब्रह्मा जी से की ,,,,,
''अभी मै ही कुछ करता हूँ..आप अपने सृष्टी में कुछ फेर बदल कीजिये..''
उसके बाद 31 अगस्त को हम सभी लोग केदार नाथ जी से निचे उतरे और शाम को बाबा नारायण गिरी जी से गुप्त काशी में मिल कर ऊखी मठ पहुंचे .जहाँ पुजारी ने हम सबका स्वागत किया और अपने आवभगत से हमारा सत्कार किया..
01 .SEP .2009 ...को डाक्टर अल्पा का जन्म दिन था.पुजारी के घर हम सबको भोजन कराया गया.साथ में पुजारी के एक मेरी अन्य शिष्या भी थी.हम छः लोग.निचे की और यात्रा पर चल दिए.
मेरे साथ मेरी कार में मेरी बेटी रूचि,डाक्टर अश्विन,डाक्टर अल्पा थे.पीछे बस में मन्नू और सुमन भी थे..हमे छोड़ने पुजारी और मेरी एक अन्य शिष्या आये थे बस स्टैंड तक ,ऊखी मठ में,..

जो प्लेट मेरे सामने पुजारी ने परोसा था.वो रोटी एक अति भयानक जहर मीठी जड़ी से बनी हुयी थी.

और देव प्रयाग...उत्तराखंड में 01 SEP 2009 को ''मै ''''प्रथम मानव शरीरधारी 'अघोर'' पुजारी के घर खिलाये गये रोटी के भयानक जहर के प्रभाव से मै मर गया.
इससे सम्बंधित कुछ-कुछ घटना क्रम बिच-बिच में घटना क्रमानुसार मैंने इस ब्लॉग में लिख दिया है...
कल से कुछ महत्वपूर्ण घटना क्रम हो रहा है...
सम्पूर्ण जगत और सभ्य
आधुनिक समाज को आज मालूम है की जापान में 11 मार्च 2011 को भयानक भूकंप और फिर सुनामी ने बर्बाद कर दिया.फिर ज्वालामुखी और अब रेडिओ एक्टिव तत्वों का विकिरण प्रारंभ हो गया है.....
(1 ) ....एक शिष्य ने ध्यान में कल देखा..
भारत के पश्चिम दिशा के देश की तरफ से काला करेंट पूर्व में ( जापान की ओर ) जा रहा है. धरती से आकाश तक बैज्ञानिक अपना कुछ सिस्टम लगाये हुए हैं.उस पुरे सिस्टम को प्रकृति में ही कुछ विशेष तरह के करेंट उसे चारो तरफ से घेर कर अपने अन्दर ढक ले रहे है.
(2 )....केदार नाथ जी में जो ''बाबा '' का पैर पकड़ कर बाल रूप में श्री बिष्णु जी अभी तक बैठे हुए थे.वो पैर छोड़ कर कल वो उठ गये हैं. और बाबा ने अपने आसन से उठ कर अपने उस पैर से धरती पर चार बार प्रहार किया है.बाबा अपने विकराल रूप में हैं.बाल खुले तथा फैले हुए हैं.जीभ लपलपा रहा है.आँखे लाल -लाल ,बड़ी-बड़ी है तथा प्रचंड क्रोध से भरे हुए हैं...
तथा ब्रह्मा जी को आदेश दिया है की ......
''''फिर से सृष्टि की रचना लिखो..''''
''बाबा'' के पीछे चारो तरफ अपने हाथ जोड़ कर सभी देवी-देवता खड़े हैं...

विशेष---यह एक विकट परिस्थिति है.मै कई वर्सो से धरती की संतुलन को सम्हालने का जी तोड़ प्रयास कर रहा हूँ. हिमालय के उस तरफ धरती के निचे और धरती के ऊपर प्रकृति में कुछ हो रहा है.
पिछले कुछ वर्स से चीन,यूरोप,आस्ट्रेलिया,पाकिस्तान आदि सभी धरती पर चारो तरफ देशो में सभी देख ही रहे हैं.
भारत के पूर्व दिशा में,उत्तर पूर्व दिशा में,तथा उत्तर दिशा तथा पश्चिम में बहुत जल्द ही कुछ भयानक होगा...जिसमे जापान,चीन,रूस,बियातनाम ,मंगोलिया,थाईलैंड,वर्मा ,वियतनाम अमेरिका,यूरोप तथा एशिया और एशिया के मध्य (मुस्लिम आदि देशो में) आदि अनेको देशो में प्राकृतिक विप्लव तथा बिध्वंस घटनाक्रम बहुत तीव्रता से घटित होने की संभावना बनती जा रही है....
प्राकृतिक तत्वों के आपसी टकराव से धरती पर भयानक प्राकृतिक बिध्वंस से ब्यक्ति गत ,प्राकृतिक ,तथा सामूहिक टकराव,राजनितिक स्थिरता और भयानक गृह युद्ध कि स्थितियां बनती जाएँगी और युग अपने अंत की और तेजी से बढ़ता ही जायेगा.
बाबा का अपने आसन से उठ जाना और बिष्णु जी का अब पैर छोड़ देना,बाबा का.... कुछ सन्देश दे रहा है तथा खुलेआम संकेत कर रहा है.यह दृश्य बहुत कुछ कह रहा है.और फिर बाबा श्री का धरती पर अपने पैर से चार बार प्रहार करना बहुत जल्द ही ,निकट कुछ दिनों में बहुत बड़ी प्रलयात्मक घटना का संकेत है.
खुले आम प्रकृति में यह सब हो रहा है...
और सभी बुद्धि जीवी तथा ज्ञानी लोग अंधे की भांति अपनी आँखे खोल कर देख रहे हैं.....
यही तो है परमात्मा का साकार प्रमाण....
मेरे ख्याल से बहुत हो गया.परमात्मा अब सहने के लिए तैयार नही है.. कल युग का अंत काल प्रारंभ हो ही चूका है.
''सावधानी से अपना -अपना ''यथार्थ धर्म''निभायें .''
..सभी स्वतंत्र है.परिस्थितियों में विकटता प्रारंभ हो ही चूका है.अपने अभी तक के ज्ञान की पूरी परीक्षा पिछले किसी लेख में इसी ब्लॉग में दी गयी दो-तीन प्रकार के त्रिकोण -ट्राइंगल के मैप बना कर दिए गये चित्र को देख समझ कर ,कर लेवे....
.भारत का दुनिया का भाग्य उस मैप में रेखांकित कर दिया गया है.
आपको समय-समय पर सुचना और सन्देश दे दिया जायेगा....
सावधान__सावधान__सावधान...

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