Friday, March 25, 2011

'' बिधाता ''परमात्मा'' द्वारा कार्य क्रम की ताजा खबर.!.सुचना और सन्देश''






तारीख..25 मार्च.2011 .10 .49 .am ..

'''शिवपुत्र एक मिशन'' के ब्लॉग को पढने वाले बहुत सारे पाठको में से अनेको ने कई बार हमसे यह पूछा है और जानना चाहा है..की,
''यह सब क्या है,जो आपके नाम से इस ब्लॉग में लिखा जा रहा है.इसका क्या अर्थ है और क्या मकसद है...?..''
बहुत ही प्यारा और अर्थपूर्ण जिज्ञासा तथा इक्षा है.मुझे बहुत अच्छा लगता है...जब कोई जानना चाहता है और अपने आपको मेरे सामने ब्यक्त करता है,जानने की भूख लेकर...
पाठक भी अनेक तरह के लोग होते हैं और उन पाठकों में से पूछने वाले भी अनेको प्रकार की भावनाओं वाले होते हैं.पहले यहाँ यह समझ लेना जरूरी हो जाता है,आगे बढ़ने से पूर्व,की,'' मै'' कभी भी किसी भी प्रश्न के उत्तर नही देता.क्योकि प्रश्न का उत्तर देना और तर्क,वितर्क करना ज्ञानियों व् बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी ,आदत,सामर्थ,क्षमता ,योग्यता और स्वभाव है...
''
मै'' और यह ब्लॉग तथा ''शिवपुत्र एक मिशन ''किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में अपना अनमोल और दुर्लभ समय नस्ट नही करता,बल्कि समाधान करता है.जिससे प्रश्न उठने का अंत हो सके.
समाधान .!..उत्तर नही होता,बल्कि प्रश्न का ,जो प्रश्न बार-बार उठ रहे है मानव जीवन में उसका समाधान कर देता है.और ब्यक्ति प्रश्नों में ना उलझ कर अपना जीवन में समाधान प्राप्त करता हुआ, आगे का अपना शेष जीवन उत्क्रिस्ट कर्म करते हुए जी लेता है,बिना किसी संदेह के...
प्रश्न उठते हैं .संदेह व् अज्ञानता के कारण.अगर संदेह ही मिट जाये तो समाधान मील जाता है .फिर प्रश्न नही उठता.
मानव जीवन का लक्ष्य ही होना चाहिए प्रश्नों से मुक्ति...
जिस मानवीय जगत में प्रश्नों और उत्तरों की भीड़ लगी है.और इन प्रश्न तथा उत्तरों की भीड़ ने मानव जीवन में और मानवीय चेतना में कोलाहल और असमानता का शोर मचा कर सारी जिन्दगी को अस्त-ब्यस्त कर दिया हो.उसमे मेरे पास समय ही कहाँ की,उत्तरों में उलझाऊं...?..और प्रश्न ,मूल प्रश्न,उत्तरों के बाद भी प्रश्न बना रह जाये.....?..
''
परमात्मा'' द्वारा ''अघोर''..!...''प्रथम मानव शरीरधारी ''अघोर'' का निर्माण 'समाधान ' करने के लिए ही किया गया है...''
..
क्योकि आज ज्ञानी वर्तमान समाज और जीवन में प्रश्न तथा उत्तरों के कोलाहल में,समाधान के अभाव में अन्दर की कुंठा और आंतरिक तड़प वैसे ही शेष रह जाता है,जैसे समुद्र के जल में प्यास से चटपटा रहा मानव..
...
यह ब्लॉग और मै एक माध्यम हूँ.''परमात्मा'' के ताजा कार्यक्रम के खबर का.वर्तमान समय में जबकि चारो तरफ पहुचे हुए ज्ञानियों ,बुद्धिमान जनों और पहुचे हुए बैज्ञानिको की भीड़ लगी हुयी है.और इन सबमे आपस में चल रही धक्का मुक्की का परिणाम आज का जगत और सभ्यता है...
आज सभ्यताओं के पास मानव जगत का सबसे बड़ा ज्ञान और सामर्थ बिज्ञान है.
जो हर क्षेत्र में अपना प्रदर्शन कर रहा है.तो कही बिभिन्न प्रकार के रंग बिरंगे धर्म, हैं.और अगर कुछ बचा ,तो तरह-तरह के अध्यात्म और दर्शन हैं,जो बरसो से समाज में अपने -अपने अलग-अलग दावे कर रहे हैं..
कोई ''गुरु'' है,तो,कोई ''धरमाधिकारी'',तो कोई ''भगवान''और अवतार.इतनी भीड़ देख कर ''परमात्मा'' घबरा गया. कि, अब तो कुछ करने के लिए बचा ही नही.सभी तो अपने-अपने सामर्थ अनुसार पूरा ताकत और क्षमता लगा कर कर ही रहे हैं,जो वो कर सकते हैं...और जो कार्य वो कर ही नही सकते वो कैसे कर सकते हैं..?..है ना...?...
परन्तु जब प्रदर्शन और प्राकृतिक जगत में प्रमाण की बात आती है तो,सभी एक स्वर से नपुंसकता के रूप में अपना परिचय स्वयमेव प्रमाणित कर देते हैं.सभी के पास अपने-अपने समाचार हैं,अपने-अपने काब्य हैं,अपने अपने साहित्य हैं,कहानियां हैं,कथाये हैं.अर्थात बहुत कुछ है संसार के पास.....बस समाधान नही है...
यह सब देख कर ''तुम्हारा भगवान और तुम्हारा परमात्मा'' पत्थरो में छुपा रो पड़ा.और ''मैं'',ने तुम्हारे देवी-देवताओं को अपनी विवशता पर रोते हुए देखा है.और उनकी विवसता देख कर हैरानी से अचंभित हो गया,मै..इन देवताओं को मंदिरों व् मूर्तियों में देख कर तथा शक्तिशाली धार्मिको के बंधन में पड़ा देख कर भी एक बार कुछ भी न समझ सका...
जिस जगत में एक पुजारी,एक धर्माधिकारी जब चाहे किसी भी दैवीय सत्ता को एक मूर्ति में प्राण डाल कर विवस कर सकता है और जब चाहे उस मूर्ति से प्राण वापस खिंच सकता है .तो, अब तो आज देवी- देवता इन मानवों का गुलाम होने चाहिए और इन प्राकृतिक दैवीय सत्ता का ज्ञान,परिचय,जान-पहचान तथा आज वर्तमान में किये जा रहे उन सबके कार्यो की जानकारी भी होनी चाहिए....?....
पर....इन सारे स्तरों पर मैंने सभ्यता और इन ठेकेदारों को पूरी तरह कंगाल पाया.किसी के भी पास उनके ही भगवान और परमात्मा या शक्ति का आज कोई परिचय,परिणाम तथा कार्य के बारे में जानकारी नही है..और अगर कुछ है तो सदियों ,युगों पुराना घटना का ही स्टाक है.लगता है, कि, आज भगवान,परमात्मा और शक्तियां मर गयी है,इनके ज्ञान में....
पहले मानव सभ्यता में ऋषि - मुनि व् तपस्वी हुआ करते थे.जो अपना जीवन और चेतना पूरा का पूरा वर्तमान मानव तथा प्राकृतिक में जगत में हो रही घटनाओं को जानने समझने और उससे सम्बन्ध स्थापित रखने में लगाते थे.जिससे आम जनमानस तक दैवीय सत्ता तथा दैवीय घटनाक्रम के बारे में सुचना और समाधार तथा सन्देश मील जाया करता था.....
आज जब हम स्वघोषित या पर -प्रत्यारोपित इन महान आज के स्वयंभू पहुचे हुए लोगो से जब पूछते हैं और जानने का प्रयास करते है तो हमे उत्तर में कागज के पन्ने पकड़ा दिया करते हैं और उपदेशो तथा शर्तों से अपना और साधारण जनता का सारा अनमोल जीवन नस्ट कर दिया करते हैं...
..
मिलता है क्या इससे इनको....?....
अकूत बैभव,संपत्ति,संपदा,दौलत,नाम,प्रसिद्दीऔर शिष्यों तथा अनुयायियों की भीड़....
इनका अपने को पुजवाने की तथा भौतिक संपदा को जी भर कर भोग लेने की आदिम और गहरी दमित ,अतृप्त इक्षा व् भूख पूर्ण होती है.
और मिलता है क्या इस सबसे आम जान मानस को....?...
एक सुनियोजित प्रचारित कार्य क्रम के तहत भ्रम.जिज्ञाशाओं के उत्तर में एक तिलिस्मिक शब्दों का ब्यूह बिलास...नृत्य सत्संग,उपदेश और मनोलुभावन कथा कहानियां .....ये हमे प्रेरित करती हैं,परमात्मा की ओर.हमारी स्मृतियों और चेतना में दैवीय सत्ता के बारे में जानकारी लेने,जानने की भूख पैदा करती हैं.पर समाधान नही दे पाती ...!..
आज जो जीवन में हम जी रहे हैं.हर ब्यक्ति अपना जीवन जी रहा है....
....
क्या ज्ञानियों के अनुसार,ज्ञानियों के ज्ञान प्राचीन घटना क्रमानुसार क्या आज इनका ''भगवान''परमात्मा''या दैवीय सत्ता '' मर चूका है.या फिर एक लम्बी छुट्टी पर चला गया है,अपने संतान,अपने भक्तो तथा जगत को छोड़ कर...?..जो आज की ताजा खबर ना देकर परमात्मा के बारे में बासी समाचार,कल की घटनाओं की सुचना परोसी जा रही है.......?..
हम क्या यह नही जान सकते इनके कारण की आज परमात्मा ,भगवान और दैवीय सत्ताये और शक्तियां कहाँ हैं तथा क्या कर रही हैं...?..
जगत में घटित और प्रचारित इन प्राचीन कृत्यों में देख कर इन सब कृत्यों से उत्पन्न एक भयानक भ्रम और नपुंसक नास्तिकता के परिणाम से संचित करने के लिए ''तुम्हारे परमात्मा'' ने ''तुम्हारे भगवान'' ने इन महान मानवों की भारी भरकम भीड़ से अलग एक सामान्य और साधारण मानव शरीरधारी को इस धरती पर एक माँ के गर्भ से जन्म देकर इस तरह अपने कार्य के लिए तैयार किया है की यह साधारण दो हाथ पैर का ब्यक्ति ''अघोर''अवस्था को प्राप्त कर सका..
और आज तक ज्ञात,अज्ञात मानव सभ्यता के इतिहास में जो आज तक ना तो सुना गया,ना ही देखा गया और ना ही कहीं पूर्व से चर्चा में हो.ऐसे गुणों और शक्तियों के स्वभाव वाला मनुष्य बनाया.
जो एक साधारण मानव के समान इनके बीच ही इस धरती पर जीना चाहता है.परमात्मा को अपने को ब्यक्त करने की इक्षा और उसके द्वारा निर्देशित कार्य को संपन्न करने तथा बंधन में पड़ी शक्तियों को मुक्त करा कर उनका साकार प्रमाणित प्रदर्शन करने के लिए निर्मित किया गया ''एक मानव''......
''
एक मानव'''!...जो प्रथम मानव शरीरधारी ''अघोर'' के नाम द्वारा सारा संसार जानेगा और अभी कुछ लोगो द्वारा जाना जाता है...परमात्मा ..''बिधाता'' बाबा श्री'' द्वारा जन्मा गया है.
इस ब्लॉग को ध्यान पूर्वक प्रारंभ से पढ़े और थोडा इंतजार करें......
अगर इस जगत में या किसी भी मानव शरीर धारी और अशरीरी ब्यक्ति को आज परमात्मा द्वारा,बिधाता द्वारा सम्पादित कार्य तथा कार्यक्रम के बारे में जानने की ईमानदार इक्षा हो,तो,एक मात्र मार्ग यही है की अभी इस ब्लॉग के माध्यम से संक्षेप में यहाँ ''मै'' संकेत तथा सन्देश और सूचनाएं दे दिया करता हूँ.....
मुझसे क्या मिलेगा.....?...
यह एक प्रश्न बनेगा तुम्हारे दिमाग में....?..
एक सबूत,एक प्रमाण मात्र..!...बस......!....
और तुम्हारे जगत तक तुम्हारे परमात्मा द्वारा किये जा रहे निरंतर कार्यो को पहुचाने का माध्यम बनने का ,कार्य संपादन करने का सौभाग्य.....
यह मेरा कर्तब्य है की आज भगवान और परमात्मा के कार्यों की सुचना तुम और तुम्हारे जगत तक पंहुचा कर उसके जीवित और क्रियाशील होने का प्रमाण दूँ....ताकि तुम्हारी आश्था,तुम्हारा बिश्वास पक्का हो सके.कोई उसे कमजोर ना कर सके.यह प्रमाण परमात्मा के जीवित होकर क्रियाशील होने का प्रमाण है.प्रकृति जगत में घटित हो रही परमात्मा ,बिधाता के आज के बिधान के अनुसार घटित हो रही घटनाक्रमों का सारे धरती पर सारे देश में ,सारी जाती और समस्त मानव सभ्यता में ,प्रकृति में आता जा रहा परिणाम है ....
पिछले वर्ष तथा कुछ दिनों पूर्व ''मै''ने अपने शिष्यों से तथा इस ब्लॉग में बोला था. की,
'''
काळ की गति बढ़ा दी गयी है.'''
तो देखो..!...
''''
धरती ने अपनी धुरी से अपना स्थान खिसकाकर समय की गति ,काल की गति को बढ़ा कर दिन को अब कुछ सेकण्ड ,क्षण छोटा कर दिया और परमात्मा के आदेश का पालन किया.''''
प्रमाणित हुआ ना की काळ की गति बढ़ गयी है.परमात्मा ,बिधाता का बिधान प्राकृतिक जगत और सभी प्रकार के जगत में समान रूप से लागु होता है...सभी को ही मानना ही पड़ता है...
धरती के लोगो ने अपने ही जीवन में घटित कृत्यों से उबकर युग परिवर्तन की प्रार्थना की तो बिधाता ने प्रकृति में परिवर्तन कर युग को परिवर्तित करना प्रारंभ कर दिया है...
--------
तुम क्या समझते हो....?.... कि, 21 दिसंबर .2012 की रात को एकदम से यह जगत हटा कर रातोरात कोई दूसरा जगत तुम्हारे सामने रख कर परोस दिया जायेगा..और तुमसे हाथ जोड़ कर यह प्रार्थना की जाएगी. कि,
''
हे महामानव अपनी आपनी आँखे खोलिए और इस नये सतयुग में आकर हमारा जीवन कृतार्थ कीजिये और इस जगत पर अहसान तथा मेहरबानी कीजिये...."..
''
मै'' पूछता हूँ आप सबसे ......! क्या कृत्य ,कर्म किया है इस जगत ने....?....कि,उसे रातो रात सतयुग में रखकर,सतयुग में परिवर्तित कर सतयुग को भी आज के इस वर्तमान कलयुग की तरह इतना दूषित कर दिया जाये और पापो से भर दिया जाये....?..''
क्या अपराध किया है सतयुग ने.....?...क्या आप अपने भगवान को इतना मुर्ख,बेवकूफ और वाहियात समझते हैं...?
..
अगर आपका भगवान जीवित है तो आप सभी की इक्षाओं,कामनाओ,कृत्यों,चालाकियों तथा कर्मो को जानता है....
...''
शिवपुत्र _एक मिशन'''.....के रूप में अभी इस जगत और प्रकृति को सम्हालने और सजाने का कार्य कर रहा है..इस विकृति हो चुकी प्रकृति और महाप्रकृति में परिवर्तन किया जा रहा है...
''
जब परम सत्ता कुछ करती है तो वह कार्य होता है...जागतिक ब्यवस्था में परिवर्तन करने का...'''
यह ब्लॉग बस एक थोडा सा प्रयास है.आपके परम सत्ता के बारे में,उनके कार्य के बारे में सूचनाएं पहुचाने का.जिससे यह एक विश्वसनीय सबूत के तौर पर काम आएगा और गवाह बनेगा,अपने हर एक बात की सत्यता का...
जगत प्रमाण मांगता है.बिज्ञान प्रमाण मांगता है एक-एक बात का...
यह प्रकृति मेरा है.ये प्राकृतिक शक्तियां जिसमे यह धरती लिप्त हुआ है,मेरी ''माँ'' है.और ''बिधाता'' जिसे मै अपने समस्त अस्तित्व से ''बाबा'' कहता हूँ.जिन्होंने अपना परिचय प्रमाणित करने के लिए अपने पुत्र का निर्माण किया है.पने ही जैसा बनाया है '''अघोर''.....
यह हमारे जगत में घटित हो रही घटनाओं की सुचना और सन्देश हैं...
आज बिधाता और बिधाता के कार्य संपादन और प्रमाणों का लिखित प्रमाण है.जिससे तुम अपने भगवान,अपने ईस्ट और परम सत्ता को मरा हुआ ना समझो.बल्कि जीवित होकर क्रियाशील होने का प्रमाण देख कर अपनी चेतना की आँखे,अपनी होश की आँखे खोल कर अपने आसपास,अपने साथ उसे महसूस कर सको....
आज वर्तमान में कुछ वर्षो से परमात्मा सशरीर इस धरती पर अपनी शक्तियों के साथ भारत के इस भू-खंड पर उपस्थित है.और अपने बिधान अर्थात इस वर्तमान जगत की मांग और आवश्यकता अनुसार कार्य कर रहा है...
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तुम्हारे परमात्मा !.. तुम्हारे भगवान के पास नोट,रूपया और बैंक बैलेंस नही है,स्थूल भीड़ नही है.उनके पास पहला कार्य अपनी इस सृष्टि और धरती तथा प्रकृति को बचा लेने की है.....
न की उत्तर देने की और बहस करने की...
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आज के लोग परमात्मा को अपनी T.V. स्क्रीन पर देखना चाहते हैं.परमात्मा के पास एक बहुत बड़ा सभी सुख सुबिधाओं से भरा आश्रम देखना चाहते हैं.बहुत बड़ा भीड़ उसके आस पास देखना चाहते है...भारी मात्रा में बैभव ,संपत्ति तथा धन देखना चाहते हैं...
वो तो चालक मानवों ने फैला ही रखा है.अपना-अपना आडम्बर तुम्हारे इन्ही धारणाओं के अनुसार ..
क्या तुम समझते हो की आज परमात्मा पहले अपना कार्य और बिधान अनुसार कार्य संपादन छोड़कर पहले रूपये कमाने और आश्रम बनवाने के लिए पाखंड तथा नाटक का सहारा लेकर टी.व्. पर आये.अपना प्रचार करे और तुमसे दान मांगे...?..
अपनी पूजा कह कर तुमसे करवाए..?..
क्या परमात्मा को ,भगवान को भिखारी समझे हो...?..
''
आज मानव शरीर धारी ''अघोर'' के पास धन और ईमानदार मानवों का अभाव है.जगत में कार्य करने के लिए जगत की भौतिक साधन की आवस्यकता सदा से ही पड़ती है.''
वर्तमान में.....''प्रथम मानव शरीर धारी ''अघोर'' प्रकृति और धरती को बचाने के लिए असुरो से भीषण युद्ध कर रहा है.???..
आर्थिक अभाव और साधन के ना होने से अपने पास उपलब्ध सिमित साधन के अनुसार इस ब्लॉग का उपयोग करते हुए मानवों तक आज के समय में परमात्मा के जीवित होकर कार्य करने का प्रमाणिक सन्देश देने का एक छोटा सा प्रयास किया जा रहा है...
साधन के अभाव में जो है उसे संक्षिप्त रूप में ही अभी परोस दिया जा रहा है.
यह मेरे जगत की बाते हैं.अगर आपका इस जगत का जरा सा भी सम्बन्ध होगा तो आपको आपके भगवान के जीवित होने और उसके कार्य के बारे में जानकारी इस लेख और ब्लॉग तथा शिवपुत्र एक मिशन के माध्यम से मिलती रहती है.आगे भी मिलती रहेगी.जो भी घटना होनी होगी उसके बारे में पहले ही बतला दी जाएगी..
माने या ना माने.इस तरफ से आप स्वतंत्र हैं....क्योकि किसी के मानने या ना मानने का गरज हमे या परम सत्ता ,बिधाता को नही है.मानने या ना मानने के लिए यह जगत,यह सभ्यता और सभी लोग पूरी तरह स्वतंत्र हैं....मनवाने का मेरे पास समय ही कहाँ है.
अगर यह बाते आपके जीवन में किसी भी तरह,किसी भी जगत या विचार से मिलती होगी,प्रमाणित करती होगी तो आपको अपने भगवान के जिन्दा होने पर जरा सा भी संदेह अब नही होना चाहिए...
अगर मेरी बात तथा मेरे जगत की घटना क्रम आपसे संयोग नही रखती तो आपसे ''मै'' क्षमा प्रार्थी हूँ.जो आपने मुझसे यह प्रश्न पूछा...?...
फिर आपका जगत मेरे जगत से अलग होगा.
.
इस सम्पूर्ण ब्रह्मंदिया खंड और जगत में मेरे जगत से अगर कुछ अलग है तो वो है सिर्फ ''सेकण्ड खंड ''...
मेरे ही अधीन होते हुए भी परमात्मा के बिधान को न ,मानने से सारा जगत उसे ''असुर जगत'' के नाम से जानता है.
और जहाँ तक मै जानता हूँ.आपके भगवान और परमात्मा का एक प्राकृतिक स्वभाव है की वो असुर तथा असुरों के कृत्य का बिध्वंस करता है.असुरों का समूल नाश कर देना शायद निश्चित ही आपके परमात्मा का स्वभाव है...है ना...!...
यहाँ सिर्फ समाधान है.उत्तर का मकड़ जाल नही...
आप सभी को,आप शरीरधारी हो या अशिरिरी..!. मेरा ह्रदय से प्यार लीजिये....
''
मै सभी को पहचानता हूँ और उनके ब्यक्तिगत / सामूहिक कर्मो से जानता हूँ...
परमात्मा ''बाबा'' बिधाता'' की शक्तियों के चलने की पगध्वनि अभी जगत में अपने सुमधुर तान,लय ताल में गुजनी शुरू हो गयी है...
''
मै'' ने ''बाबा'' का सिर्फ 'एक नाद'' बताया है....
.
देखो कल फिर 24 मार्च 2011 को शाम लगभग 08 बजे वर्मा ''म्यामार '' में भूकंप आया है...आगे देखते रहो...
''
मेरे पिता श्री ने,बाबा श्री ने धरती पर अपने पैर से चार बार प्रहार किया है.''
और ब्रह्मा जी को आदेश दिया है .की,
''
अब एक नये सृष्टि की रचना करो...''
और सारे जगत के साथ मै भी उत्साहित होकर देख रहा हूँ...
''
धरती के भीतर पृथ्वी तत्व में बिस्फोट हो रहा है और भूकंप आना प्रारंभ हो गया है.कल भी वर्मा .म्यामार में 7 या 6 .8 तीव्रता का भूकंप आया था....
और करना भी क्या है..?...कम से कम अपने जीवन में जब तक जीवित होने का बोध है.यह ब्लॉग पढ़ते रहिये,दुसरो को भी पढ़ते रहिये,पढने की प्रेरणा दीजिये..और ''शिवपुत्र एक मिशन'' द्वारा धरती की रक्षा,सभ्यता की रक्षा,धर्म की रक्षा तथा असुरो के बिध्वंस के लिए किये जा रहे कार्य के बारे में समाचार व् सुचना पर अपनी निगाह रखिये....
......................................
आप सभी को '''''धन्यवाद'''''.........................................
विशेष....
''
मै'' समझा पाया की नही..!..यह उतना महत्वपूर्ण नही है,बल्कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है की आप समझ सके या नही...!.
आपके द्वारा पूछे गये प्रश्नों के लिए मै सदा आभारी रहूँगा,आपका.जब कोई मुझसे मिलता है,कुछ कहता है और पूछता है तो मै समझता हूँ की इस ब्यक्ति के माध्यम से यह जगत मुझसे कुछ पूछ रही है.यह जगत अपनी कुछ जिज्ञाशाओं का समाधान मांग रही है..मेरे पास आये हुए हर एक ब्यक्ति को मै समाज जगत का एक प्रतिनिधि मानता हूँ.और इस परिपेक्ष्य में लेता हूँ की इस संसार और सभ्यता ने अपने एक प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी एक प्रश्न या जिज्ञाषा का समाधान माँगा है,चाहा है..
इसीलिए आप मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं..
इस समय जगत में ''कालपुरुष बाबा श्री ''बिधाता'' द्वारा प्रकृति में परिवर्तन किया जा रहा है.यह ब्लॉग उसी के सम्बन्ध में है.
'
भौतिकता के अभाव में यह शिवपुत्र एक मिशन के कार्य का सबूत,प्रमाण छोड़ा जा रहा है.ताकि भविष्य में समय पर काम आये,कि परमात्मा ने प्रकृति परिवर्तन का कार्य प्रारंभ कर रखा है.
इस काळ खंड में हम अपने ज्ञान और अहंकार तथा जिद्द में बेहोश ना हों,बल्कि ध्यान पूर्वक होश में रहे...क्योकि कलयुग का अंत प्रारम्भ हो चूका है..प्रलयकालीन घटनाओं के अनुसार तत्वों के आपसी टकराहट द्वारा बिध्वंस की घटनाओ को अपनी आँखों से देख सकते हैं और अपने जीवन में भी घटित होते हुए सारा संसार,जगत देख सकता है...
.
अगर कोई ''बिज्ञान''रोक सकता है परमात्मा के इस कार्य को तो रोक ले.....
और क्या ......?...ब्यक्ति करे भी तो क्या.......?
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Wednesday, March 23, 2011

''' भारत के आसपास उत्तर में हिमालय हिल (भूकंप आ रहा है) रहा है.''


...23 .मार्च...2011 ..
''
सावधानी,समझदारी से अपनी आँखों से देखो.!
.
भारत भूमि..!..इस देश के आसपास धरती में हलचल ( लगातार भूकंप आ रहा है.)हो रही है.''
'''
भारत के उत्तर पश्चिम और उत्तरी सीमा पर हिमालय क्षेत्र के उस तरफ भूकंप आना शुरू हो गया है...और इस देश के बुद्धिजीवी तथा जागरूक और बैज्ञानिक ,तथा जिम्मेदार लोग अपनी आँखे बंद कर बहस में उलझे हुए हैं.....''
'''18 .
मार्च.2011 ..के इस ब्लॉग के लेख में लिख दिया गया है,की बाबा ने धरती पर अपने पैर से चार बार प्रहार किया है.''
क्या यह धरती के निचे लगातार हो रही हलचल और मानव सभ्यता तक आ रही प्राकृतिक सूचनाएं हमे कुछ संकेत नही करतीं...?..
18 .
मार्च.2011 ...से मध्य पूर्व में युद्ध भड़क गया है.एक कमजोर स्वतंत्र राष्ट्र पर कुछ बाहुबली राष्ट्रों ने जबरदस्ती घुस कर नागरिको का नरसंहार शुरू कर दिया है.
'''
यह कहानी नही है..!..यथार्थ है...!..''
'''
युद्ध भड़क चूका है.घमंडी राष्ट्रों ने अपना शक्ति प्रदर्शन पुन: प्रारंभ कर दिया है.''
''21
मार्च 2011 को दोपहर बाद किसी समय में भूकंप के झटके पुरे उत्तर भारत में महसूस किया गया.भारत के आसपास उत्तर पश्चिम में ''हिन्दूकुश'' पर्वत की ओर अफगानिस्तान में इस भूकंप का केंद्र था.दिल्ली सहित सारे उत्तर भारत में महसूस किया गया.अभी हल्का झटका है...
...
आज 23 मार्च.2011 को फिर चीन और कश्मीर सीमा पर अर्थात भारत के उत्तर में हिमालयीय क्षेत्र में 5 .1 तीव्रता का भूकंप आया.नुकसान का समाचार अभी विस्तार से नही मिल पा रहा है...
.....
क्योकि भारत का भाग्य अभी क्रिकेट के भरोसे आश्रित कर छोड़ दिया गया है.
....
और देश तथा संसद में चर्चाएँ और बहस,आरोप ,प्रत्यारोप का ड्रामा चल रहा है...
.
विकास शील तथा धर्म निरपेक्ष देश भारत..!...अभी विकसित देश जापान की दशा देख कर भी कुछ सिखा नही है.यहाँ पर जीवन का मूल्य आम आदमी का बस इतना ही तो है न,जितना की,भोपाल में गैस त्रासदी में हर मृतक ब्यक्ति को 20 --25 साल बाद दिया गया मुआवजा है,कुछ सौ रूपये...?..
ठीक भी है.भारत का नेतृत्व और बुद्धिजीवी तबका जापान से कुछ ज्यादा ही देश भक्त और विकासशील है.
पर क्या कीजियेगा...?..
प्रकृति का कार्य चालू है,प्रकृति में परिवर्तन का कार्यक्रम प्रगति पर है...अभी 2011 है.अगले साल 2012 है.और फिर 2013 आएगा .इस धरती के टुकड़े पर जहाँ हम भारतीय कहलाते हैं.यहाँ जान और जीवन सस्ता है।और भारत के आस पड़ोस उत्तरी,उत्तर पश्चिमी तथा उत्तर पूर्व की सीमा पर धरती के निचे भूकंप आ रहा है...
....
बाबा ने धरती पर अपना पैर पटका है,क्योकि भगवान बिष्णु जी ने अपने हाथो से पकड़ा हुआ बाबा का पैर अब छोड़ जो दिया है...
और मेरे पिता श्री बाबा जी ने श्री ब्रह्मा जी को आदेश दिया है...
'''
अब एक नये सृष्टि की रचना करो. '''
पैर पटकने के पश्चात बाबा श्री एक गहरी समाधि में है.भयानक तूफान के पूर्व की ख़ामोशी फैली है...
जगत का ज्ञान और विवेक स्तंभित है.और भारत की सीमाओं पर उठ रहा भूकंप का धक्का भारत के अन्दर तक महसूस किया जा रहा है.आधुनिक यन्त्र तीव्रता नापने में लगे हुए हैं और सूचनाएं क्रमश : आता जा रहा है.
11
मार्च 2011 के जापान में भूकंप और सुनामी के बाद भी भूकम्पो के आने का सिलशिला लगातार जारी है..
याद रहे....!...जापान भारत के पूर्व में ( उत्तर पूर्व में ) स्थित है.और दिन का प्रारंभ पूर्व से ही होता है.पूर्व से हिमालय तक भूकम्पो का सिलशिला
प्रारम्भ हो गया है.
विशेष....आज का अत्याधुनिक समाज और बिज्ञान ईन्तजार ,अटकले ,अनुमान ,बहस और चर्चाओं के अलावा कर भी क्या सकता है...?..
चलो..! सबके साथ ''हम'' भी देखते हैं.....!...

Saturday, March 19, 2011

''धरती पर अपने पैर से प्रहार के पश्चात ''बाबा श्री'' गहरी समाधि में है.'' ...किसी बड़ी घटना के पूर्व कि ख़ामोशी बनी हुयी है.




Dt ...19.march.2011....रात में 9.00pm ..

'''23 अगस्त.2009 ----31 अगस्त 2009 ..के मध्य का कल मैंने जिस घटना का जिक्र किया था.कि,भगवान बिष्णु जी ( श्री बदीनाथ जी.) बालरूप में बाबा श्री के दोनों पैरो को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर बाबा को शांत रहने के लिए मना रहे थे.वो अब बाबा का पैर छोड़ कर उठ गये हैं.. ''
''2009 के पश्चात में 2010 में हिमालय को हिलते हुए सारे जगत ने देखा है.अनेकानेक बार भूस्खलन,लैंड स्लाइडिंग और बार-बार बादल के फटने तथा घनघोर बरसात से हिमालय से नीचे धरती की ओर जल प्रवाह का जो वेग बरसात के समय चीन,पाकिस्तान,तथा भारत सहित दुनिया के अन्य कई नगरो ,आबादियों में फैला.उसने अपना परिचय खुद दे दिया था,की अभी इस धरती पर हिमालय जिन्दा है...''
...और....धरती का पुरुष अभी जिन्दा है..धरती का पुरुष जाग रहा था....
''और......बाबा की समाधि टूट गयी...'''
परसों जैसे ही ''भगवान श्री बिष्णु जी'' ने ''बाबा श्री'' का अपने हाथो से पकड़ा हुआ पैर छोड़ा.
''बाबा श्री'' ने विकराल विराट ''काल पुरुष'' का रूप धारण किया.
''बाबा श्री'' के खुले हुए बिखरे बाल ब्रह्माण्ड में लहराने लगे.बड़ी-बड़ी लाल आँखे रक्त वर्ण की हो गयी.जिह्वा लपलपा उठी और धरती पर ''बाबा श्री''के इस रूप ने चार बार कठोर प्रहार किया.....
''कल रात से ही ''बाबा श्री'' गहरी समाधि में चले गये है तथा गंभीरता का भाव बना हुआ है.''
....2009 में ''बाबा श्री'' ने बतलाया था .की,
''इस बार के कार्य में अनेक दानवों तथा असुरो का भी सहयोग लिया जायेगा।जिन्होंने कभी अपनी तपस्या भक्ति से जगत और मानवता की सेवा की हो और प्रसिद्धि पाई तथा परमात्मा के कार्य के निमित्त अपना सर्वस्य सौंप दिया है.''''
''अपने पैर से चार बार धरती पर प्रहार करने के पश्चात बाबा गंभीर समाधि में बैठ गये हैं.ऐसा लगता है की धरती पर कुछ बहुत बड़ी घटना होने वाली है.बहुत बड़े तूफान के पूर्व की खामोश शांति.'''
..अपने आसन पर बैठे बाबा श्री अपने पैर से धरती को निरंतर दबा रहे हैं...
...जिससे दानव राजा बलि ..!...
..जिसको बाबा ने अपने पैरो से दबा कर रखा था,अभी तक.उसे दबा कर नीचे से ऊपर आने का प्रयास कर रहे हैं.....
आज सारा दिन बाबा का समाधि में ही निकला.
एक बहुत बड़ी घटना के पूर्व की ख़ामोशी बनी हुयी है.सारा दिन पैर से अपने नीचे ही प्रेशर दे रहे हैं...
एकदम खामोश ही दिन भर बैठे रहे हैं,''पिता श्री..बाबा जी...''
क्लाक वाईज गोल चक्रवात जैसा प्रेशर बन रहा है.जापान से लेकर हिंदुस्तान तक कुछ हो सकता है.चक्रवात जैसा बन रहा है.गोल-गोल सब एकदम सा घूम रहा है.किसी को नही मालूम,बस बाबा को ही मालूम है.
बहुत बड़ा कुछ होने को है.
कहाँ होगा,कब होगा पता नही चाल पा रहा है..
''बस बाबा की ख़ामोशी गंभीर है.''
देखते हैं धरती पर,प्रकृति में क्या होता है..?
बस इतना ही कह सकते हैं की किसी बड़े घटना के घटित होने के पूर्व जैसी भयानक ख़ामोशी है यह...
लोग और जगत अपनी मस्ती में चल रहे हैं.
सावधान रहने की जरूरत है.क्योकि धरती अपनी धुरी से हट कर खिसक चुकी है.. और काल की गति पहले की अपेक्षा बढ़ चुकी है.
प्रकृति में तो प्राकृतिक बिघटन ,बिखंडन और तीव्र परिवर्तन तो होगा ही होगा...
धरती के भीतर पहेल ३-४ साल से जो अधोमुखी उल्टा ट्राइंगल निर्मित हुआ था.
अघोमुखी ,उल्टा त्रिकोण को जाग्रत कर मुक्ति करने के पश्चात उर्ध ट्राइंगल होकर अपना स्थान परिवर्तन किया था.उसके पश्चात से उस धरती के भीतर वाले उलटे त्रिकोण में तीव्रता से कम्पन बढ़ता ही जा रहा है.तथा बीच-बीच में कोणीय अवस्था भी बदलती जा रही है.
...देखते हैं...मानवों के कर्मो के कारण धरती के भाग्य में क्या लिखा हुआ है.?.
... .और कौन-कौन सी सभ्यता समाप्त होती है...

...वादा अनुसार धरती की रक्षा के लिए और नये सृष्टि रचना के लिये निरंतर प्रकृति में तीव्रता से परिवर्तन किया जा रहा है..
सावधान ! प्रकृति अब मुक्त व् स्वतंत्र है.
प्राकृतिक जगत में घटित हो रही तमाम तरह की घटनाएँ ..
''माँ''..मेरी माँ ....मूल महाशक्ति ..का अपने सभी शक्तियों के साथ चलने फिरने की ''पगध्वनि'' है.
...धरती पर पग प्रहार के बाद ''बाबा श्री'' की लगातार गंभीर ख़ामोशी का राज क्या है....?....और परिणाम क्या आता है....?