Saturday, September 25, 2010

''अभी तो ''बाबा'' ने नृत्य के लिए पैर उठाया है''' ......... '''.अब ! '''''डमरू बजेगा तो क्या होगा..?''

कैसा लग रहा है..?..क्या मजाक बना रखा है..अपने आपका..?
यहाँ के लोगो ने और समाज के ठेकेदारों ने.यहाँ तो सरकारी स्तर पर भगवान का मजाक उड़ाया जाता है
.यहाँ कैसा न्याय है..?..जहा पर इस देश में जन्मे उन पूर्वजो को ऐय्याश कहा जाता है,जो भगवान के नाम से लोगो / भक्तो के ह्रदय में बसता है.
क्या भगवान मर गया है..?.जब उन्होंने भगवान को सामूहिक गालियाँ दी.और उसके ना होने के हलफनामे तक अदालतों में दाखिल किये.''वह'' सब देख सुन रहा था.जो इनकी नजरो में मर गये थे.या इनके द्वारा मार दिए गये थे.
जब देश अपना ही स्वाभिमान की रक्षा ना करके,अपने सभ्यताओ के परिचय को गालियाँ भी देता है.और संसद तथा सड़को पर दावे करता है कि ''भगवान ''भी उसके साथ है..
जब -जब जिम्मेदार लोग.!.वो जिम्मेदार लोग और देश अपने ही अस्तित्व और अस्मिता के प्रतिको का अपमान करते है. और इन सबके बावजूद भी अपने साथ होने का दावा करता है.तो,भगवान के दरबार में न्याय के अनुसार ऐसे लोगो का खुलेआम बिश्व स्तर पर अपमान होता ही है.
एक बार कहा गया .कि ,'' इस देश में ''राम'' जैसा कोई हुआ ही नही.''
फिर एक बार कहा गया यहाँ की माननीय संविधान के वक्ता द्वारा द्वारा की ''कृष्ण_ राधा'' का अवैध सम्बन्ध था इसलिए एक कानून पास किया गया.एक संबैधानिक कानून बनाया गया कि , जो चाहे कृष्ण को गाली दे सके और राधा का कानूनन बलात्कार कर सके.एक कानून बनाया अपनी ऐय्यासी के लिए .अपनी वासनाओ को खुले आम ब्यक्त करने के लिए कृष्ण और राधा के चरित्र पर लांछन लगाना क्या इतना जरूरी हो गया था...?..
इन सबके बावजूद दावा करते हो कि ....
'''भगवान भी तुम्हारे साथ है.''
अपनी इन्ही आदतों के कारण मानव समाज भोगता है.अपमान और विनास।
''यहाँ निर्लज्जता की हद भी पर दी गयी.''
तुम्हारे इन दो हरकतों को राम देख रहा था और कृष्ण सुन रहा है.जिसे तुम भगवान कह कर गाली देते हो.वो सब देख सुन रहा है.
अभी पिछले कुछ महीनो से मै सन्देश ,सूचनाये और प्राकृतिक जगत में घटित हो रही घटनाओं को शब्द रूप देकर आज कल वर्तमान में ''भगवान के संसार'' में घटित हो रही गतिबिधियो को तुम्हारी भाषा में लिख दिया करता हूँ.
अब भगवान का बलात्कार ब्यक्ति या देश को, समाज या सभ्यता को तथा ठेकेदारों को नही किया जा सकेगा.सोचना ! एक बार जरुर इन सबके कर्मो का परिणाम आम जनता को भोगना पड़ता है.देश का अपमान होता है.जन्म भूमि का अपमान होता है ,मात्री भूमि पर कलंक लगता है.सारे जगत में इनके कारण.
..परिणाम आने चालू हो गये हैं.
.भगवान ने अपने जगत में अपने ही अंदाज में बोलना प्रारंभ कर दिया है..
अरे अभागो..!..तुम्हारे भगवान ने बोलना चालू कर दिया है.
जिन्दा कर दिया है मैंने तुम्हारे भगवान को..
''भगवान '' तुम्हारा अपना परिचय देने लगा है.तुम्हारा दुर्भाग्य है कि आज तुम अपने ही भगवान को नही पहचान पा रहे हो.
अच्छा ! तुम्हारे अभागे पन का इतिहास काफी पुराना है.तुम्हारा स्वार्थ पूरा होता है.तुम्हारे भोग के संसाधन पुरे होते रहे.बस इसी चाह में वो सारे नपुंसक ज्ञानी लोग चुपचाप तमाशा देखते हैं.अपना ब्यापार ,अपना धंधा,अपना संसार ,अपनी राजनीती और अपने अहंकार के लिए इस देश में यहाँ के आराध्य का खुलेआम बलात्कार देख कर किसी हिजड़े की तरह मुस्कराते रहे सभी.भक्त ,अनुयायी ,धार्मिक और अध्यात्मिक और यहाँ तक की अपने को खुद भगवान होने का दावा करने वाले महान लोग भी एक कायर और नपुंसक की भांति चुप रहे...भाव था तुम सबका कि.....
''मुझे क्या परेशानी है.मुझको तो नही कहा गया ना.''
और एक तरफ रुक -रुक कर भगवान को गाली दिए जाते रहे लगातार.एक के बाद एक,फिर उन्ही लोगो द्वारा दावा किया जाता रहा कि
''भगवान भी मेरे साथ है.''
और सारा संसद / अधिकारी और जनता मस्त .
मै बोलूँगा तो मेरी हत्याए कर दोगे तुम .मेरा अपमान तो करते ही हो तुम सब.जब भी तेरी इक्षा होती है.
भगवान अभी मरा नही है.इस धरती पर सशरीर उपस्थित होकर अपना प्रमाण दे रहा है.अपने शक्ति प्रदर्शन द्वारा.
''जाग्रत त्रिकोण ,सक्रिय और क्रियाशील होकर चल फिर रहा है.''
''बाबा की समाधि टूट गयी है.शक्तिया मुक्त होकर विचरण कर रही हैं.''
..शक्तियों के चलने फिरने से धरती में कम्पन बढ़ रहा है.जिससे तत्वों में टकराहट बढ़ रहा है.
हमे तुम्हारे द्वारा दिए गये तुक्ष सम्मान की चाह नही.
..हम भगवान / बिधाता / परमात्मा ''बाबा '' के सगे पुत्र हैं.
.हमने अपनी माँ कामख्या / शक्ति /करेंट के गर्भ से जन्म ले लिया है.
देखते रहो..
2006 के बाद से बढ़ रहे प्राकृतिक हलचलों को.हमने जो ट्राइंगल बनाया है,उसका प्रभाव और उसमे हो रहे बिस्फोट से जगत में तत्वों में बिस्फोट हो रहा है.डांवाडोल हो रहे धरती को हम अपने पैरो से दबाये हुए हैं.
'''भारत की रक्षा ये नपुंसक क्या करेंगे...?''
हमने भारत की उत्तर और पश्चिम उत्तर सीमा के उस पार अपना प्रहार बढ़ा दिया है.
''हिमालय के उस तरफ प्रकृति में कुछ हो रहा है.असुर तत्वों को हमने घेर लिया है.''
भारत की प्राकृतिक सीमा में होने से हम प्राकृतिक रूप से इस देश की रक्षा कर रहे हैं.तुम अपना प्रदर्शन कर रहे हो.
और ''मै'' अपना ''अघोर प्रदर्शन '' कर रहा हूँ..
''
'अकल्पित और अकल्पनीय प्रदर्शन.''
बोलो ! कैसा चाहिए तुम्हारे भगवान का प्रदर्शन ...?..
वैसा ही कर देता हूँ.मेरे पास भिखारियों की जरूरत नही है.नपुन्सको की भीड़ दूर ही रहे...
मैंने असुरो को घेर लिया है...ब्यक्ति हो या देश..कोई भी ''भगवान'' के नाम पर अब बलात्कार ना कर सकेगा.क्या कोई दूसरा देश उदहारण है तुम्हारे पास जो अपने ही आराध्य ,अपने ही पहचान और अपने ही अस्तित्व ,अपनी ही शक्ति का अपमान और बलात्कार करता हो...?...
त्राहि-त्राहि मचना शुरू हो गया है.अभी तो यह शुरुआत है.तुम्हारे परमात्मा द्वारा कलयुग का संहार शुरू हो गया है.
कलयुग के अंत की प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है.
छेड़ छाड़ ठीक नही है.पहले ही कहा जा चूका है .की,
''अघोर शिवपुत्र से छेड़ छाड़ ठीक नही है.''
मेरा अपमान करना,मजाक उड़ाना बहुत सरल हो सकता है.पर उसके बाद का परिणाम स्वतंत्र और मुक्त शक्तियों द्वारा दिए गये उत्तर को सम्हालना बहुत भारी पड़ जाता है..
मै एक साधारण सामान्य मानव शरीर धारी ब्यक्ति मात्र हूँ.मै इस जगत,तुम्हारे जगत को समाचार दे रहा हूँ.
'' जाग्रत त्रिकोण'' कभी भी अपने संचालक और नियंत्रण कर्ता का अपमान बर्दास्त नही करता.''
''काशी से त्रिशूल मुक्त है.कामख्या के रूप और शक्तिया मुक्त हैं.जगन्नाथ स्वामी और बद्रीनाथ जी मुक्त हैं.
हिमालय से एक वर्स हो गये बद्रीनाथ जी को हटे हुए.15 अगस्त 2009 को लाया था मै अपने साथ.
15 अगस्त 2010 से हिमालय के क्षेत्र में प्राकृतिक समाचार देख लो.
एक साल पूरा होने के शुभ अवसर पर यह ''जगत के पटल पर अघोर बाल शिवपुत्र द्वरा प्रस्तुत कार्यक्रम कैसा लगा.''''
..यह अभी तक नही बताया आपने..
ब्लॉग में दिए गये ट्राइंगल को सदा ही देखते रहिये .पिछले संदेशो के अनुसार परिणाम अगर ठीक से ना आ रहा हो तो,मुझसे शिकायत कीजिये और फिर समझ बुझ कर ही गाली दीजिये.
यह मेरा दावा है, की , आपको कोई मौका नही दिया जायेगा शिकायत का.
उम्मीद है..कार्यक्रम __बहुप्रतीक्षित और अत्यंत रोमांचकारी यह कार्यक्रम आपको प्रिय और रुचिकर लगा होगा.
सावधान होकर ''शिवपुत्र शरणम गच्छामि '' के भाव से ..
''अघोर शिवपुत्र का ध्यान करे.''
अघोर शिवपुत्र का सदा स्मरण करते रहे.
'''प्रलय खंड में बिध्वंस होता है''.
जल्द ही कुछ दिनों के लिए एक छोटे से कार्य के लिए दिल्ली से बाहर जाऊंगा.
...देखता हूँ क्या होता है..???
''भारत सहित अमेरिका ( मित्र देशो सहित ) >>पाकिस्तान तथा चीन ( धरती के भीतर मेरे द्वारा बनायीं गयी अधोमुखी त्रिकोण )पर अपनी नजरे जमाये रहे.कोई चाहे या ना चाहे.
..कोई माने या ना माने.
विराट स्तर पर घटनाये आप सभी के सामने ''परोस'' दी जाएँगी..,इस जगत में.''
आपके ''भगवान '' को हम असमय नही मरने देंगे.
''भगवान ''जाग गया है.जाग्रत भगवान का परिचय पुराणों और अपने धर्म शास्त्रों में पढ़ते रहो या फिर उन्ही में खोज लो..
एक सामान्य ब्यक्ति द्वारा संदेषित और सूचित यह ब्लॉग आपके भगवान और उनसे सम्बंधित कार्यक्रमों की ताजा जानकारियों से भरा रहेगा.यह मै पूरी कोशिश करुंगा....
''सावधान''
''अपने ही देश की आत्मा का बलात्कार मत करो .''
अन्यथा ..! धरती में घटित घटनाओ की रफतार बढ़ जाएगी और अभी तो कम है आगे त्राहि _त्राहि बढती जाएगी.
हम सम्हाल रहे हैं अभी.तुम्हारी धरती को.
हम सजा रहे हैं.. तुम्हारी प्रकृति को....
'''बिधाता के बिधान के अनुसार'''
आप सभी को मेरा बहुत सारा प्यार .क्या करू सभी अपने ही तो हैं ना.
ध्यान पूर्वक धरती पर स्थित [ भारत में ] उर्ध्मुखी जाग्रत त्रिकोण ''केदारनाथ >>काशी>>दिल्ली पर अपनी नज़ारे जमाये रहिये..
और अमेरिका [ आदि ] >>चीन >>पाकिस्तान ''अधोमुखी त्रिकोण [धरती के नीचे '.' ] पर अपना ध्यान रखे रहिये...समाचार चालू है.
रोमांचकता और घटनाये बढती ही जाएँगी .अभी तो तुम्हारे भगवान का खेल शुरू ही हुआ है.
समाचार हम भेजते रहेंगे,समय- समय पर,आप सबके पास.लापरवाह ना हो.सब कुछ भूल कर एक बार ध्यान से अध्ययन करे पिछली घटनाओ की.हम आपके लिए ही तो यह सब कुछ कर रहे हैं.
''बाबा '' ने ,मेरे ''पिता श्री'' ने एक '''नई रचना'' करने एक लिए बोला है.
'' हम विकृत प्रकृति को मूल प्रकृति में पुन: स्थापित करने के लिए प्रकृति को सजा रहे हैं.प्रकृति में परिवर्तन कर रहे हैं.''
''जगत की भलाई के लिए ''भगवान का मजाक उड़ाना और अपमान करना ठीक नही है.''
अपनी औकात लगाने और दिखाने के बाद बोलते हो, कि,' भगवान तुम्हारे साथ है'.अब यह सब ठीक नही है.अब यह सब नही चलेगा.
''भगवान देखता ,सुनता है,सहता है ,तो,उत्तर भी देना जानता है.''
भगवान जब उत्तर देता है तो ब्यक्ति ,देश,समाज,सभ्यता और परम्पराए तो छोडो.युग भी बदल जाता है.''
कौन रोकेगा ..???..इस महा वेग को..
''शास्त्र में बाबा के ''अघोर'' रूप के कुछ स्थानों पर ''लक्षण'' लिखा हुआ है'''
मै तो फिर भी एक साधारण मानव हूँ.प्रथम मानव शरीर धारी ''अघोर''..
पहचाने ''मै'' कौन हूँ...???...

( कि, अभी भी नही )
.....कोई बात नही .सावधान रहो.क्या जल्दी है.
..
..आगे अभी और भी कार्यक्रम प्रस्तुत है.
Please email your opinion in Hindi using English font to shivputra_ekmission@yahoo.co.in

2 comments:

  1. भगवान का मजाक उड़ाना और अपमान करना ठीक नही है
    अच्छी रचना पोस्ट की है ........

    यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
    क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?

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  2. Pranam Baba!!
    baba yah vikrit prakriti kya hai?

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