Thursday, July 1, 2010

''''''''सावधान..... '''''इस क्षेत्र में ''भूकंप और प्राकृतिक आपदा में तीव्रता'''' आ सकता है..'''


तारीख --01 जुलाई...2010 ...समय.... शाम को 05:15.मिनट के लगभग.....
''''क्योकि कुछ दिनों में हम कुछ विशेष कार्य ''एक मिशन '' से दिल्ली से बाहर जा रहे हैं''
...
कुछ विशेष ''काम '' से..
मै जब यहाँ से जाऊंगा तो,मेरे साथ माँ ''मूल शक्तियां ''भी रहेंगी.
हम धरती पर ट्राइंगल हैं .हम ब्रह्माण्डीय अग्निस्तम्भ हैं.
और एक ट्राइंगल दिल्ली में 300 गज जमीन पर स्थित मेरा आसन है.
यह धरती पर स्थित''' जाग्रत ट्राइंगल ''का एक एंगल है...
जो ट्राइंगल पहले उल्टा त्रिकोण.. '.'
'''
केदार नाथ [हिमालय] .>>>कामख्या >>>काशी था''...... '.' ,

माँ की मुक्ति के बाद अब...

''' केदार नाथ [हिमालय ] >>> काशी >>> दिल्ली [अघोर शिवपुत्र अपनी सभी माताओं के साथ .]...

पहले वाले त्रिकोण का आधार परिवर्तन इस धरती पर अब इस त्रिकोण की आकृति में उर्ध त्रिकोण में परिवर्तन हो गया है.

आज की अवस्था पहले वाले त्रिकोण में स्थान परिवर्तन का परिणाम है.
'''
उस त्रिकोण का परिवर्तन अब धरती पर भारत में इस प्रकार बन रहा है......'''
'
''''' केदार नाथ >>>दिल्ली..>>> काशी....'''''
.
..धरती का अभी इस त्रिकोण पर ही ब्रह्मांडीय पुरुष ''मेरे पिता श्री बाबा'''का यहाँ आसन स्थित है...
धरती पर इस ट्राइंगल पर ''मै >बाबा और माँ ''स्थित हैं....
हमारे माँ के साथ चलने फिरने से इस धरती का बैलेंस चेंज होता है.
इसलिए अगर मेरे दिल्ली से बाहर जाने पर इस धरती में इस क्षेत्र में कम्पन बढ़ सकता है ..
और इसके परिणाम स्वरुप दिल्ली और आसपास के क्षेत्रो में अचानक'''' भूकंप के झटके''' आने चालू हो सकते हैं...
यहाँ से हिमालयी क्षेत्र तक में ,क्योकि ट्राइंगल का एक सिरा मुझसे सीधे केदारनाथ जी से जुड़ा हुआ है .
प्राकृतिक उठापटक तेजी से हो रहा है...
अभी मै पूर्व में जा रहा हूँ.इस धरती पर अपने आसन से चल कर..
देखते हैं कि , ''अबकी बार कैसा परिवर्तन आता है ,यहाँ के क्षेत्र में.''
पिछले साल 2009 में अक्तूबर / नवम्बर में जब यहाँ से पश्चिम दिशा में दाहोद [ गुजरात ] में गये थे ,
तो एक सप्ताह में ही 4-5 बार भूकंप के 4 / 5 तीव्रता या कुछ अन्य तीव्रता के ''भूकंप के झटके''आने प्रारंभ हो गये थे...
एक सप्ताह में ही ....
देखते हैं कि, इस बार कैसा होता है.....
यह धरती के मैग्नेटिक संतुलन के लिए भी जरूरी है .
इससे पता चल जायेगा कि किस दिशा में जाने पर इस स्थान से,कैसा प्रभाव होता है
.
इस धरती पर इस क्षेत्र में जहाँ अभी मेरा आसन है...
हमारे चलने फिरने से धरती में हलचल तेज हो जाती है.
कब जाऊंगा एक मिशन को पूरा करने के लिए इसका दिन तारीख निश्चित होते ही बता दूंगा.
यह ऐसा इसलिए लिख रहा हूँ ब्लाग में ताकि जानने के लिए प्रमाण / सनद रहे
और समय आने पर लोगो को दिए गये'''' सन्देश और सुचना''' के रूप में काम आवे...
अगर भूकंप तेज हो जाये,प्राकृतिक उठापटक तेज और निरंतर होने लगे इस क्षेत्र में ,
तो आप मुझे ! इस मानव शारीर धारी साधारण ब्यक्ति को जरुर याद कर लीजियेगा....
जब -जब हम दिल्ली से बाहर निकलेंगे .
इस मेरे ट्राइंगल से सम्बंधित धरती के टुकड़े पर अपनी निगाह रखियेगा.....
मेरे चलने फिरने या फिर अपने एंगल से दूर जाने पर जो धरती के निचे एक उल्टा त्रिकोण '.' बनाया है मैंने,कुछ वर्स पूर्व..उस पर भी दबाव बढेगा.

इसके परिणाम स्वरूप इससे सम्बंधित देश अमेरिका ---पाक और चीन तथा इन तीनो देशो के मित्र उन सभी देशो के समूहों पर ,जो भारत के प्रति गलत तथा आसुरिक विचार रखते हैं और कर्म करते है.कैसे भी...

उन देशो में, प्रकृति में बिध्वंस की गतिविधियाँ प्राकृतिक रूप से तेज हो जायेंगे.
जैसे भूकंप / ज्वालामुखी / आंधी /आग / और दुर्घटना /आकाशीय दुर्घटना ,आर्थिक बिखंडन ,अहंकार का टूटना ,अहंकार किसी भी तरह का हो तथा मारकाट /आपसी लडाई झगडा बढ़ जायेगा..
इन देशो में भूमि -जल -वायु और अग्नि तत्वों में आपसी टकराहट बढ़ जायेंगे जिससे उनकी सृष्टी में जो बिध्वंस प्रारंभ हुआ है ..
माँ को मुक्त करा कर यहाँ उर्ध्व ट्राइंगल .'. और वहां अधोमुखी ट्राइंगल '.' बनाने से ही जो प्रारंभ हो चूका है ..
'''वह'' ,उसकी गति बढ़ जायेगा..
इसको आप प्राकृतिक स्वतंत्र शक्तियों ''मुक्त ''माँ कामख्या'' की अपनी सभी शक्तियों के साथ चलने से इस धरती पर हो रही ''पगध्वनि '' के रूप में देख / सुन ही रहे है...
अभी हम प्रकृति में संतुलन और तीव्रता से परिवर्तन कर रहे हैं.
मानव जाती को सावधान रहने की आवश्यकता और जरूरत है...
विकृत प्रकृति में परिवर्तन के कारण,पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में बिध्वन्स्नात्मक घटनाये और बिखंदनात्मक प्राकृतिक और मानवीय घटना और दुर्घटनाये बढती ही जाएँगी,जो पिछले ३ / ४ साल से बढती ही जा रही है.
अभी मैंने सिर्फ अपने '''' को सक्रीय किया है.''अपने ''''में बिस्फोट किया है.
अपने त्रिकोण में गतिविधि / बिस्फोट बढ़ा दिया है.
जल्द ही एक मिशन को पूर्ण करने के लिए हम दिल्ली से बाहर जा रहे है कुछ दिनों के लिए..
प्रकृति में तेजी से घटना क्रम अचानक बदल सकता है...घबराना मत...
.........
........मै हूँ न......
मेरा आसन तो यही पर स्थित है न 300 गज ज़मीन पर.
सम्हाल सकता है तो साइंस सम्हाल ले पहले..
फिर तो मानव शरीर धारी अघोर ''शिवपुत्र है ही..''
हम मानव सामर्थ्य और साइंस को भी पूरा मौका दे रहे है.
अधिकांशत : समाचार हम प्राकृतिक स्तर पर मनुष्य के सामर्थ्य साइंस तक पहुंचा रहे हैं.
यह विकृत प्रकृति में परिवर्तन करने का ''काम'' है ...मेरी माताए स्वतंत्र रूप में अब इस धरती पर मेरे साथ चल फिर रही हैं.
जिससे यह प्राकृतिक पगध्वनि बिध्वन्सत्मक घटनाओं के माध्यम से ब्यक्त हो रहा है.
...'''''
'मेरी माताएं कोई सामान्य ''स्त्री शरीरधारी औरत नही हैं .
बल्कि यह सब ''बाबा '' की मूल शक्तिया हैं.
जिनके पास / आजकल मुक्ति के बाद मैं भी रहता हूँ.
यह जाग्रत त्रिकोण के चहल कदमी का परिणाम है.
अब क्या करे..?...'' जगत ''में है और ''काम '' तो लगा ही रहता रहेगा .
'
'
मेरे हर '''काम '' का एक अर्थ है....
'
'
मेरा ''धर्म'' है कि , मै बंधन में पड़ी हुयी अपनी शक्तियों को ''मुक्त'' कराता जाऊ ,इस धरती पर से...
.
..
जब भी मै किसी शक्ति को मुक्त करता हूँ तो धरती के संतुलन को भी सम्हालना पड़ता है.
और धरती के संतुलन को सम्हालने के कारण धरती में और प्रकृति में हलचल बढ़ जाती है.
मुझे यह प्राकृतिक जगत को भी सम्हालना पड़ता है.
अन्यथा प्रलय में बर्बादी प्रारंभ होना तीव्र हो जायेगा.
देखता हूँ....
इस बार क्या -क्या होता है....?
क्या लिखा है,इस धरती पर रहने वाली मानव जाती की ,इस प्रकृति में ...''''भाग्य.'''...???
सामने स्पस्ट हो जायेगा.देखते हैं ..तुम सब भी देख लो....
सभी के लिए जरुरी है,वर्तमान में घटित हो रही घटनाओ को जान लेना.
हम सभी एक साथ इस धरती पर अपना -अपना जीवन जी रहे है.हम अपना काम कर रहे है,आप अपना..मेरे ''काम'' से प्रकृति में परिवर्तन होता है और आसन से उठ कर चलने फिरने से भूकंप और प्राकृतिक तत्वों के परमाणुओ में टकराहट बढ़ने से बिस्फोट होता है.
....
.....
यही मेरा जीवन है,,.......
यही मेरा स्वभाव ......
''''
अघोर शिवपुत्र'''''''

Please email your opinion in Hindi using English font to shivputra_ekmission@yahoo.co.in

5 comments:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  3. इस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete