Friday, April 1, 2011
'' बिधाता ,बाबा श्री,शिव जी'' ने अपने हाथ से ''डमरू'' बजा दिया.''
तारीख:--01 अप्रैल 2011 ..
'''मेरे पिता श्री ''बिधाता बाबा श्री '' ने अपने हाथ से ''डमरू'' को कई बार बजाया..''
....कल दिन में हम अपने आसन पर समाधिस्थ थे.तभी उसी दरम्यान यह एक अति महत्वपूर्ण घटना घटित हुआ...
..नील वर्ण के बाबा श्री अपने विराट स्वरुप में हैं.पूर्व दिशा की तरफ अपना मुह किये खड़े हैं.अपना बायाँ पैर आगे की ओर बाधा कर अपने हाथ में पकडे हुए डमरू को बजा रहे थे...
...और ..फिर मुझे धरती पर कार्य के निमित्त कुछ निर्देश दिया...
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..जगत को स्मरण रहे..!..
...इसी ब्लॉग में 2010 के किसी लेख में एक सुचना दी गयी थी जुलाई-अगस्त_और सितम्बर के किसी महीने में. कि ...
'''बाबा श्री'' ने अभी नृत्य का एक कदम उठाया है.अपनी बहु प्रतीक्षित नृत्य तांडव की एक मुद्रा बनायीं है...आगे जब डमरू बजायेंगे तो क्या होगा..?''
इस उद्घोषणा के पश्चात ..अर्थात ''बाबा श्री'' की एक ''तांडव नृत्य की मुद्रा'' के बाद धरती पर चारो तरफ बारिस,बरसात,बादल फटने,भूस्खलन,अति व्रीस्टी और जगह-जगह पहाड़ खिसकने के साथ जल प्लावन की घटना श्रृंखलाबद्ध रूप से प्रारम्भ हो गयी थी.ऐसा लगा की सारी धरती को जल धाराएँ अपने आगोश में ढक लेंगी.
हिमालय हिलने लगा था..
इस जगत के और ब्रह्माण्डीय जगत के आदि पिता ,प्रथम पुरुष मेरे पिता श्री ''बाबा श्री ''बिधाता'' का अभिषेक उनका प्रथम मानव शरीरधारी ''अघोर'' पुत्र आकाश से हिमालय पर गंगा की जल धारा (जल तत्व) द्वारा जलाभिषेक कर रहा था.क्योकि काशी से बाबा श्री की ''त्रिशूल शक्ति'' को मुक्त करा कर अपने पास ''माँ कामख्या '' के साथ जाकर ले आया था...
सभी अपने-अपने तरह और शैली ,सामर्थ्य से ''बिधाता बाबा श्री '' का ''जलाभिषेक'' करते हैं..ऐसे ही 'मै' ने भी अपने सामर्थ्य अनुसार हिमालय में स्थित ''बाबा श्री'' का जलाभिषेक किया...
''माँ गंगा'' अर्थात ''जल तत्व'' से किये गये इस अभिषेक के प्रताप से हिमालय से चारो तरफ जल धाराएँ निकलने प्रारम्भ हुए,अति वेगवान होकर.सभी नदिया गर्भवती होकर अपने उफान पर बहने लगी .तथा अपने प्रवाह से रास्ते में अपने आने वाली तमाम तरह की बाधा, को तोड़ते हुए निचे धरती को डुबोने लगी....
''बाबा श्री के अघोर पुत्र को भयानक बिष खिलाने के पश्चात 01 सितम्बर 2009 में मृत्यु हो चुकी थी.पुन: अपने उसी मृतक स्थूल काया में प्रवेश कर पुनर जीवित होने के पश्चात, तब तक ''मै'' केदार नाथ जी के पास कैसे और किस मुह से जा सकता था...?...क्या कहता.........अपने पिता श्री से ...?....''
यह सब देख कर.अपने पुत्र तथा अपने पुत्र की माँ शक्ति के साथ इस धरती पर इन सारे विभिन्न तरह के अत्याचार और महापाप तथा असुरो द्वारा किये जा रहे कृत्य,दुस्साहस को देख कर 'बाबा श्री'' की समाधि टूट ही गयी और बाबा ने अपने आसन से उठ कर तांडव की एक मुद्रा बनायीं और जगत पर जल प्रलय का दृश्य,घटना उत्पन्न हो गया...
हिमालय के चारो तरफ के भूभाग,देशो पर हिमालय से उतरी जल समूहों,नदियों ने जिन्होंने सदा अपनी अमृतमयी धारा से जीवन सिंचित किया है और अब जल प्रलय द्वारा जीवन को समेटने लगी...
उस दरम्यान आप चीन,पाकिस्तान,बंगलादेश ,नेपाल और भारत आदि देशो के समाचार पर अपनी तार्किक दृष्टी डालकर विस्तार से मेरी बातो से सम्बंधित घटनाक्रम को देख और समझ सकते हैं..
फिर ..उसके पश्चात ''नवरात्र '' का समय आ गया और नृत्य मुद्रा को ठहराना पड़ गया.उपरोक्त महाभिषेक के पश्चात नवरात्र का पूजा सकुशल संपन्न करके हम लोग ''अपने बाबा केदार नाथ जी'' के पास कुछ दिन के लिए हिमालय गये..
यह तो एक स्मृति जगाई है आपके जेहन में.क्योकि तभी इस ब्लॉग में यह भी कहा गया था, की,
''अभी तो बाबा श्री ने तांडव की एक मुद्रा बनायीं है,तो यह हालत है.जब डमरू बजेगा तो क्या होगा..?..'''
..अभी पिछले कुछ दिनों पूर्व लगभग 18 मार्च 2011 को जब बाबा श्री ने धरती पर अपने पैर से चार बार कठोर प्रहार किया था अपने आसन से उठ कर.तो धरती के गहरे निचे अन्दर तक भारत के उत्तर पश्चिम_उत्तर_तथा उत्तर पूर्व सीमा ,जो हिमालय से लगा हुआ उस पर का क्षेत्र है,में लगातार भूकम्पों की श्रृंखला आनी शुरू हो गयी...
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......[ भूकंप:----(1 )तारीख:-21 मार्च 2011 ...सारे उत्तर भारत में दोपहर के बाद भूकंप के हलके झटके महसूस किये गये.इसका केंद्र अफगानिस्तान
में था.तीव्रता 5 .2 का था...(2 )तारीख:_23 मार्च 2011 को चार,4 बजे दोपहर के बाद करीब 5 .1 तीव्रता का भूकंप कश्मीर _ चीन सीमा पर आया....
(3 )...इसी दिन जापान के फुकोसिमा के पास 6 .1 तीव्रता का भूकंप आया.
(4 )तारीख :-.24 / 25 मार्च..2011 को दोनों दिन म्यामार,वर्मा में लगभग 7 की तीव्रता का भूकंप आया शाम को.
(5 )..तारीख ..27 मार्च.2011 को दोपहर में मैक्सिको में 5 .8 की तीव्रता का भूकंप आया.और इसी दिन फिजी की राजधानी सुवा में भी 5 .9 की तीव्रता का भूकंप आया..(6 ) तारीख-28 मार्च 2011 को भी जापान में 6 .5 की तीव्रता का भूकंप आया..
इसके अतिरिक्त आप अपने स्वाद अनुसार सारे जगत से आ रहे प्राकृतिक तत्वों के बिखंडन के समाचार अपने-अपने समाचार माध्यमो से जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं.................].....
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और फिर बाबा गहरी समाधि में बैठ गये थे.
''मै'',ने कहा था इसी ब्लॉग में की ''यह समाधि'' ऐसा प्रतीत होता है की इस समाधि के समय की गहरी ख़ामोशी जो चारो तरफ फैली हुयी है.यह ख़ामोशी उसी तरह की है जैसे किसी एक बड़े तूफान के आने के पूर्व सब कुछ ठहर सा जाता है.वैसा ही एक भयानक तूफान के आने के पूर्व की ख़ामोशी प्रतीत होती है...
और कल मैंने ''बाबा श्री '' को अपने हाथ में पकडे हुए डमरू को बजाते हुए देखा..बड़ा आनंद आया.
आप सभी के साथ हम भी इंतजार करते हैं की इस डमरू के बजने से अब इस धरती के प्रकृति में तत्वों के टकराने से क्या-क्या परिणाम उत्पन्न होता है?और धरती के किस-किस भूभाग पर किस तरह की प्राकृतिक,सामाजिक व् मानवीय घटनाएँ अपने बिखंडनात्मक घटनाक्रम की श्रृंखला का दृश्य उत्पन्न करती हैं....
04 अप्रैल 2011 ,सोमवार के दिन से नवरात्रि की पूजा प्रारम्भ हो रही है... ..शायद नवरात्रि के प्रथम दिन से ही हिन्दू धर्म के नये वर्ष की शुरुआत होती है...
समय-समय पर जो भी घटना होगी हम आपके पास तक उसके बारे में पूर्व में ही सन्देश और सुचना देते रहेंगे,इसी ब्लॉग में..
अभी हम प्रकृति में कुछ अत्यावश्यक परिवर्तन कर रहे है.यह धरती की रक्षा के लिए जरूरी है.ब्यवस्था परिवतन के लिए अत्यावश्यक है...बिधाता के परिवर्तित संबिधान के अनुसार जगत में सामाजिक,राजनैतिक,ब्यक्तिगत,सामूहिक,आर्थिक और प्राकृतिक परिवर्तन तीव्रता से होने लगे हैं...
अपने जगत,अपने प्रकृति का ,अपने राज्य का समाचार हम आप तक पहुंचाते रहेंगे और धरती की प्रकृति में घटित हो रही घटनाओ का जीवित प्रसारण तथा समाचार आज का महाशक्तिशाली बिज्ञान,साइंस आप तक पहुंचा ही देगा..
चलिए..!..मिल कर हम सब साथ-साथ ही देखते हैं...
..अभी हम कार्य में अत्यंत ब्यस्त है.और आगे मेरी माँ का नवरात्र है.सभी का स्वागत है...
अभी हम अपने काम में ब्यस्त होने से इस जगत के लोगो से कम ही मिल पाते हैं ,उसके लिए आप नाराज ना हो.बल्कि थोडा धैर्य से इंतजार करे.
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