Tuesday, December 20, 2011

''जाग्रत त्रिकोण'' के अस्थाई स्थान परिवर्तन से उत्पन्न दबाव को हमने सम्हाल लिया..



''जाग्रत त्रिकोण'' के अस्थाई स्थान परिवर्तन से उत्पन्न दबाव को हमने सम्हाल लिया..
कुछ दिनों के लिए हमारे दक्षिण भारत की तरफ जाने से धरती के जिस मूल त्रिकोण का स्थान परिवर्तन हुआ, उससे धरती के अन्दर स्थित अधोमुखी त्रिकोण पर दबाव बढ़ने लगा. बाबा के निर्देश पर इस यात्रा में मुझे धरती के 'विद्युत चुम्बकीय संतुलन' को नियंत्रित करने के लिए, उसके घर्षण के परिणाम से उत्पन्न ऊर्जा को नियंत्रित करने का अनुशंधान करना था.
हम लोगों के दिल्ली से भारत के दक्षिण क्षेत्र की तरफ जाने से कुछ समय के लिए धरती के भीतर स्थित अधोमुखी त्रिकोण पर दबाव बढ़ा जिससे भारत में तथा भारत के बाहर भूकंप के हलके झटके आए.
पिछले नवम्बर 2011 के तीसरे और चौथे सप्ताह तथा दिसंबर के प्रथम सप्ताह में जब आप धरती पर हो रही प्राकृतिक घटनाओं पर अपनी नजर डालेंगे तो देखेंगे कि इसी अन्तराल में भारत के पूर्वी दिशा में स्थित म्यामार, भारत के अन्दर आसाम, गुजरात, महारास्ट्र के नांदेड व तमिलनाडू में भूकंप के हलके झटके महसूस किये गए.
इस यात्रा में मुझे धरती और प्रकृति में स्थित अधोमुखी त्रिकोण व ऊर्ध्वमुखी त्रिकोण के आपसी घर्षण के परिणाम को नियंत्रित करने का अभ्यास करना था. इन हलके तीव्रता के भूकम्पों का भारत में प्रवेश मुझे सचेत करने के लिए काफी था. इस असंतुलन को देख कर मुझे ऐसा लगा की संभवत: कहीं मुझसे कोई चुक न हो जाए, क्योंकी मेरे अनाहत चक्र (ह्रदय) पर ऊर्जा के दबाव का प्रचंड वेग होने से मेरे ह्रदय में दर्द होना प्रारंभ हो गया था.
मानवीय स्वभाव के तहत मुझे आशंका हो उठी कि कहीं इस क्षेत्र में भयानक भूकंप न उत्पन्न हो जाये, फिर ऐसी स्थिति में कैसे इसे सम्हाल पाउँगा, लेकिन सब कुछ नियंत्रित हुआ.
साथ में बाबा केदारनाथ (शिव) जी अपनी सभी मूल शक्तियों ( माँ कामख्या और दसों महाविध्या रूप रूप शक्तियां) के साथ खुद उपस्थित जो थे.
भारत इससे उत्पन्न असमान्य प्राकृतिक आपदा से तो बच गया लेकिन धरती के अन्य देशों पर इसका प्रभाव स्पस्ट रूप से दिखने लगा है..
इन कठोर परिस्थितियों में अत्यधिक परिश्रम से मेरा स्वास्थ गड़बड़ा गया , लेकिन हम अपने भारत की भू-भाग में आने वाली प्रचंड आपदा से सुरक्षा करने में सफल रहे..
कल ही मैं समाचार माध्यम पर देख रहा था...
''फिलिपिन्स'' में प्रचंड बारिस से भयानक तबाही आ गयी है और हजारों नागरिकों की मौत हुई है.
''न्यूजीलैंड'' में भी भारी बारिस से बाढ़ आने के बाद तबाही फ़ैल गयी है..( वहां का पूरा समाचार नहीं मालूम...)
'ब्राजील' में भी बाढ़ से भयानक तबाही का मंजर है....( वहां का पूरा समाचार नहीं मालूम...)
और ''पोलैंड'' में भी जल प्रलय मचा हुआ था.....( वहां का पूरा समाचार नहीं मालूम...)
ऐसे ही न जाने धरती पर किन- किन देशों में प्रकृति अपनी प्रलय लीला खेल रही है ? ..इसका सटीक जानकारी हमें नहीं मिल पा रही है, कारण कि भारतीय संचार माध्यम अपना अधिकतर समय वाहियात समाचारों और कमाऊ प्रचार में ही लगाते हैं.
यहाँ वही समाचार पहुँचते हैं जो बासी हो चुके होते हैं...या तो फिर पहुँचते ही नहीं.
इससे हमें संसार में घटित होने वाले सही समाचार प्रकृति का नहीं मिल पाते.
वैसे दक्षिण भारत कि इस यात्रा से उत्पन्न दबाव का प्रभाव अभी अन्य अनेक देशों कि प्रकृति पर भी भयानक रूप से पड़ेगा...
''जल' तत्व अपने हर रूप से अपना विभत्स प्रदर्शन करेगा .....
और भूमि पर विनाशकारी दृश्य उपस्थित होगा....
सबके साथ हम भी इस 'यात्रा' से उत्पन्न परिणाम का धैर्य से प्रतीक्षा करेंगे...
दोनों त्रिकोणों के आपसी घर्षण से उत्पन्न ऊर्जा जो धरती के अन्दर उत्पन्न हुई है, वो यूँ ही बर्बाद तो होगी नहीं , कहीं न कहीं से मार्ग बना कर धरती के उपरी सतह पर अपना प्रदर्शन करेगी ही ...
जहाँ तक मै समझता हूँ ...और देख रहा हूँ.....
.......प्रकृति में हो रहा जल प्रलय इन्हीं घटनाकर्मो की एक श्रृंखला मात्र है......
..वैसे, मुझसे ज्यादा जानकारी तो आज का अत्याधुनिक वैज्ञानिक ही दे सकता है ,इस बारे में...
प्रकृति में उत्पन्न इस विक्षोभ का परिणाम अभी आगे भी यूँ ही निरंतर आता रहेगा..
बस हमें मनुष्य बन कर देखना है..
..उम्मीद है....बाबा केदारनाथ (शिव)जी के हिमालय से नीचे जाग्रत त्रिकोण के दिल्ली वाले कोण पर स्थित रहने से जाड़े के इस मौसम में पिछले अनेक वर्षों के मौसम के रिकार्ड टूटेंगे...
कुछ प्रमुख व्यक्तियों ( शख्शियतों) के आकस्मिक मृत्यु का समाचार भी मिल सकता.
कुछ ऐसी घटनाएँ घटित होंगी जिनसे मानव जगत और देशों के सिस्टम में अचानक परिवर्तन हो सकता है.
....शेष अनेक सन्देश ..मिशन की गोपनीयता के कारण यहाँ सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं किया जा रहा है.
आगे जब भी हम दिल्ली से बाहर यात्रा करेंगे और 'जाग्रत त्रिकोण' में अस्थाई परिवर्तन होगा ,सुचना और सन्देश आप तक इसी माध्यम से पहुचाते रहेंगे...तब तक..आप अपना कर्म करते हुए परमात्मा का ध्यान करें ....
.... आपका ही..
.....''अघोर शिवपुत्र''.....

Link… www.shivputraekmission.org

pl e-mail shivputra_ekmission@yahoo.co.inc