Saturday, February 5, 2011

''बिधाता ''बाबा'' ने बिधान में 'परिवर्तन' कर दिया है''


''मै'' प्रथम मानव शरीरधारी ''अघोर''बोल रहा हूँ.
मुझे प्रकृति में परिवर्तन करना ,नियंत्रण करना और सञ्चालन करना अच्छा लगता है...
प्रकृति की मूल शक्तियों को मुक्त करा कर उनका स्वतंत्र प्रदर्शन कराना अच्छा लगता है...

मै ''यथार्थ '' हूँ ..''सत्य'' या ''झूठ'' नही...यही मेरा ''स्वभाव'' है...
''मै'',''युगों'' और सभी ''धर्मो'' का गवाह हूँ...सब मेरे ही सामने घटित हुआ है,नस्ट हुआ है और फिर पुनर्निवित भी हुआ... अभी ''प्रकृति परिवर्तन'' का कार्य तेजी से किया जा रहा है.और ''काल'' की गति तीव्र कर दी गयी है.. ''बंधन में पड़ी हुयी मूल शक्तियों को स्वतंत्र करा कर उनकी शक्तियों का प्रदर्शन किया जा रहा है .ताकि विकृत हो चुकी प्रकृति अपने मूल स्वरुप में स्थापित हो सके...यह ''धरती की रक्षा'' के लिए अति अत्यावश्यक है..हमने आधुनिक बिज्ञान के वैज्ञानिको को अपने जगत अर्थात धरती की प्रकृति में विवस,बेबस ,पंगु और लाचार कर दिया है..अहंकार का समूल सर्वनाश कर देना मूल स्वभाव होने से, ब्यक्ति हो या देश उसके बिध्वंस की शुरुआत कर दी गयी है...जहाँ असुरो का साम्राज्य है.असुर स्वभाव से किया जाने वाला कृत्य है,असुर भाव है,उसका अंत कर देना बहुत ही जरूरी है.यह युग के अंत की शुरुआत है.सभी के लिए सावधानी जरूरी है.. यह आध्यात्म और शब्दों का मात्र बकवास और विलास नही है..किसी के मानने या न मानने का कोई ईन्तजार और गरज नही है. ''यह तो मेरे पिता श्री बिधाता परमात्मा शिव ''बाबा'' केदारनाथ जी का हिमालय से ब्रह्माण्डीय आदेश और इक्षा है ,आदेश है...'' ''हमने धरती के मूल ट्राइंगल को जाग्रत कर उसमे,उसकी अवस्था में परिवर्तन कर दिया है..और वर्तमान में उस ट्राइंगल में लगातार हो रहे बिस्फोट का परिणाम है आज का प्राकृतिक अनिश्चितता और प्राकृतिक तत्वों में हो रहा बिध्वंस.''' विश्व युद्ध नही, बल्कि भ्रस्ट और असुर स्वभाव के देशो में सारी धरती पर गृह युद्ध होगा...सरकार ही नही ब्यवस्था में परिवर्तन किया जा रहा है सारी धरती पर...सब कुछ आप सभी के सामने ही घटित हो रहा है और इन घटनाओं में तीव्रता बढती ही जाएगी.किसी के रोके किसी भी कीमत और उपाय पर रुकेगी नही... युग परिवर्तन और सामूहिक जगत में हो रहा प्राकृतिक बिध्वंस आज के आधुनिक वर्तमान और सभ्य जगत तथा समाज की मूल मांग है...इसकी पूर्ति परमात्मा ने करना प्रारंभ कर दिया है.इससे मानवों में दूषित सोच परमात्मा के प्रति शुद्ध होगा .क्योकि उसके सामने परिणाम जो होगा...यही पुरुस्कार का वक्त है अपने -अपने कर्मो का...सभी को उसके किये गये कर्मो के हिसाब से उसका हक सुनिश्चित रूप से वितरित किया जायेगा.... ''बाबा श्री बिधाता'' ने ''अपने जगत के बिधान में परिवर्तन कर दिया है''
अब संसार बिधाता के नये संशोधित बिधान के अनुसार चलने के लिए बाध्य है ।परिणाम भी आना प्रारंभ हो गया है.सभी अपने जीवन तथा सारे संसार जगत में घटित हो रही घटनाओ को देख कर समझ ले.
''बिधाता के परिवर्तित बिधान के अनुसार जगत में परिवर्तन का परिणाम दिखलाई पड़ने लगा है.''