Monday, June 14, 2010

'''''''''''''''''सावधान ...शक्तियां मुक्त हो गयी हैं .''''''''' ..... और मै प्रकृति में तीव्रता से परिवर्तन कर करा हूँ.'''''

(1) ''''''माँ गायत्री'''''' की पूर्ण मुक्ति'''''' 10 09 2006 को

...उस समय मै आसाम में ''माँ कामख्या मुक्ति'' के लिए मिसन पर था.
(2) ''''''माँ कामख्या '''''और ''''''दसो महाबिध्या''''
'(
सभी 10 रूप) की पूर्ण मुक्ति ''आसाम'' के नीलगिरी पर्वत से ......
शारदीय नवरात्र में .....माँ गायत्री की मुक्ति के बाद.
मैने जून से नवम्बर तक लगातार 2006 में कामख्या में
नील गिरी पर्वत कामख्या -आसाम के में रह कर मुक्त कराया.
और अपने साथ लेकर सदा के माँ को लेकर मै आसाम से निकल आया.
(3
)'''श्री बद्रीनाथ जी'' को ....बद्रीनाथ (उत्तराखंड )-हिमालय-से 15 अगस्त 2009 को 10-11 बजे दिन में अपने साथ लेकर चला आया.
हम लोग 14अगस्त 2009 के दिन दोपहर बाद
''''
श्री कृष्ण जन्मास्टमी '''को पहुंचे थे.
अब ''श्री बद्रीनाथ'' जी इस समय से बद्रीनाथ -हिमालय में नही है.
मेरे पास है.मंदिर में सिर्फ कर्रेंट ही रह गया.
मंदिर दर्शन के लिए लोग जा सकते है.पर बद्रीनाथ जी वहां नही है.
(4
)'''माँ काली '' को सदा के लिए शाम 08 बजे , को -28 दिसम्बर 2009 को ,कालीघाट मंदिर कोलकाता ,बंगाल से मुक्त कराकर अपने
साथ ले कर निकल आया.अब माँ काली {शक्ति } मुक्त हैं .
(5
)''' भगवन जगन्नाथ जी ''' को ''पूरी'' उड़ीसा से बसंत पंचमी ,
20
जनवरी 2009 के दिन मंदिर से निकल कर अपने साथ कर लिया.
अब वो मेरे पास ,मेरे साथ है.
(6
) '''''माँ तारा''''' की मुक्ति....24 जनवरी 2010 .को शाम में मैंने अपनी माँ तारा को मुक्त करा कर युगों से बंधन में पड़ी हुयी. '''तारा पीठ----बंगाल''' से अपनी शक्ति को
अपने साथ ले आया.अब माँ उसी समय से मुक्त है.मेरे पास है.

(7
) '''माँ छिन्न मस्तका''..... को स्वतंत्र/मुक्त करा कर बधन में जी रही अपनी मात्री शक्ति को
''
राजरप्पा''रांची..के पास ( झारखण्ड )से ..
01 फ़रवरी 2010 को शाम 04.00 / 04.30 बजे अपने साथ
अपनी माँ को सदा ले लिए ले आया.
'''
मुक्त कराते ही ''माँ छिन्नमस्तका''' का सर उनके धड से जुड़ गया है.
अब माँ का गर्दन कटा हुआ नही है.जुड़ गया है..
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
.........
अभी ! यही जो विवरण मैंने ऊपर लिखा है.इन्ही शक्तियों और अपने पुरुष रूपों को
मैंने इस धरती से मुक्त कराया है.अभी आगे बाबा के आदेशनुसार अन्य शक्तियों को भी मुक्त
कराया जायेगा.अनगिनत शक्तिया और देवी -देवता मुक्ति के लिए बेचैन है तथा इस महाकार्य
में भाग लेने के लिए उद्दिघ्न है...
..
....
मानव सभ्यता में ये बंधन में पड़ी हुयी निष्क्रिय हो गयी थी.धरती की प्रकृति विकृत हो गयी है .
मुक्ति के बाद से मै लगातार इस धरती और मानव जाती को बचाने के लिए प्रकृति में परिवर्तन कर रहा हूँ....
..
धीरे -धीरे प्रकृति पर मेरा अधिकार होता जा रहा है.....
....
चुकी दैवीय शक्ति या परमात्मा की बाते मानवीय चेतना को संस्कार के रूप में ही मिली
होती है मात्र.इसलिए बहुत सी घटनाओ को मनुष्य साक्षात्कार नही कर सकता.कारण सिर्फ इतना ही है कि ब्यक्ति ने कभी सोचा ही नही कि जिसे हम देवी-देवता मानते है,शक्ति मानते है,वो हमारे जैसे भावना वाले भी हो सकता है.
मेरा मजाक उड़ाना बहुत ही सरल है.बहुत आसन है मेरा मजाक बनाना और मेरा अपमान करना.
परन्तु उसके बाद सम्हालना इन शक्तियों को, बुहत ही दुर्लभ और कस्टदाई ..
.....
सावधानी से यह याद रखने लायक है,कि ,
मैंने किसी औरत को मुक्त नही कराया.मैंने उन मूल महाशक्तियों को मुक्त और स्वतंत्र कराया है ...
.......
जो चार युग से बंधन में थी असुर शक्तियों के.
अब वो शक्तियां अपनी स्वतंत्रता का प्रदर्शन कर रही है,इस धरती पर चल फिर रही है.3-4 साल से प्रकृति में हो रही घटनाओ में बढ़ रही तीव्रता को संसार में सभी लोग देख कर खुद ही प्रमाण बन रहे है.
इसका विस्तार /आराम से वर्णन करूंगा.क्या जल्दबाजी है...????
अभी कुछ विशेष घटनाये घटित हो रही है,इसलिए अभी मात्र सावधानी के लिए सूचनाये
मै यहाँ पर लिख दे रहा हूँ...
.........
..
मै धरती को बचाने के लिए अभी लगातार प्रक्रियाये कर रहा हूँ.क्योकि ...
मैंने धरती को बचाने का सोचा हुआ है.बहुत ही तेजी और तीव्रता से प्रकृति में हलचल बढ़ता
ही जा रहा है.इसलिए अभी सुरक्षा पर ही ध्यान केन्द्रित है...
प्रकृति में प्रलय कालीन घटनाये बढती जा रही है.
आप सभी लोग देख ही रहे हो.
मैंने सारे ब्रह्माण्डीय शक्तियों को नियंत्रित करना प्रारंभ कर दिया है.
भारत की भौगोलिक प्रकृति कि सीमा मेरी सुरक्षा में है.मैंने इन 3/4 वर्सो में समुद्र से हुए चार/ पांच हमलो से भारत से बचाया है.
जैसे आईला.हाईटाइड .फेक साइक्लोन आदि से.
युग की घटना के लिए सभी लोग सहभागी है.परिणाम सबके साथ घटित होगा.
चुकी मै ''प्रथम मानव शारीर धारी ''अघोर ''हूँ .इसलिए मेरी क्षमताओ के विषय में तुम सभी अनजान हो.
मै सभी स्थूल शरीरधारी और अशरीरी आत्माओ को जानता हूँ.
मैंने कार्य के निमित्त सभी देवी -देवताओ की शक्तियों को अपने प्रभाव से रोक दिया है.
देवी -देवता परिणाम नही दे सकते अभी.
अभी पुनरनिर्माण से यह धरती और प्रकृति गुजर रही है.
सावधान....रहकर ध्यान में बैठने के अतिरिक्त बचने का कोई रास्ता अभी शेष नही है.
'''
अघोर शिवपुत्र '''' के ध्यान में बैठकर ही ''आत्मरक्षा की जा सकती है......
इसलिए ''' आत्म रक्षा के लिए ध्यान करो.''''''''
मैंने धरती के जाग्रत त्रिकोण को गतिशील कर दिया है और अब मेरी धारणा अनुसार क्रियाशील हो गया है.
.................
.......सावधान........................
मै प्रकृति में परिवर्तन कर रहा हूँ.देखो ! प्रकृति में हो रहे परिवर्तन को....
इलेक्ट्रिकल -मैग्नेटिक ग्रेविटेशनल फिल्ड चल _फिर रहा है इस धरती पर...
.
जाग्रत त्रिकोण धरती पर चल फिर रहा है.क्रियाशील होकर.
मैंने बिस्फोट बढ़ा दिया है.त्रिकोण (triangle )में
अभी सावधानी के लिए मानवों को यह सुचना मात्र है.
मै science के माध्यम से धरती पर प्रकृति से सूचनाये भेजता जा रहा हूँ.
मुझसे छेड़ खानी ठीक नही.
....'''अघोर शिवपुत्र'''…

______________________________________________________________

Please email your opinion in Hindi using English font to shivputra_ekmission@yahoo.co.in